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हर्रा बहेड़ा संग्रहण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन, पूजा-अर्चना कर किया कार्यक्रम का शुभारंभ...

हर्रा बहेड़ा संग्रहण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन, पूजा-अर्चना कर किया कार्यक्रम का शुभारंभ...

रिपोर्टर - विनोद गुप्ता

नगरी: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला स्थित नगरी में सोमवार को वन वृत रायपुर जिला यूनियन धमतरी के अन्तर्गत वनधन विकास केंद्र बिरगुड़ी में हर्रा बेहडा संग्रहण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया था। जहां पर उपप्रबंध संचालक,समस्त स्टाफ, संग्राहक, ग्रामीण और वनधन मित्र द्वारा दीप प्रज्ज्वलित एवम मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया था। इस कार्यक्रम में विनाश विहीन विदोहन पद्धति से हर्रा, बेहड़ा संग्रहण करने के साथ-साथ इस वनोपज के औषधि गुणों और महत्व की विस्तृत जानकारी दी  गई है। 

कृषकों को होने वाले लाभ:

इसके पश्चात हर्रा बहेड़ा के गुणवत्ता एवं कृषको को होने वाले वाले लाभ आदि के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई और इन्हीं वनोपज के कचरिया बनाने के संबंध में दिशा निर्देश दिया गया। बताया गया की हर्रा फल पूर्ण रूप से पक जाने पर पीला मटमैला रंग के हो जाता है। संग्रहण के दौरान इस बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। हर्रा, बहेड़ा फल गिरते वक्त वृक्ष के नीचे त्रिपाल बिछाकर गिराना चाहिए ताकि फल में किसी प्रकार का अवांछनी पदार्थ न चिपक सके।फल को तोड़कर लाने के बाद फल का ग्रेडिंग करके धूप में त्रिपाल बिछाकर कम से कम 5 से 7 दिन धूप में सुखना चाहिए.

प्रक्षिणर्थी हुए सम्मिलित:

जिससे फल में नमी की प्रतिशत कम हो जाए और फल फोड़ते समय फल का गुदा और बीज आसानी से अलग हों सके। फल को लकड़ी के गुटका और लकड़ी के हथौड़ा के सहायता से फोड़ा जाना चाहिए। फल से कचरिया बनाने के पश्चात कचरिया को साफ कपड़ा या त्रिपाल में धूप में कम से कम एक सप्ताह सुखना चाहिए। इस अवसर पर उप प्रबंध संचालक एफ आर कोसरिया धमतरी, सीनियर एक्जीकिटिव गुड्डू दुफारे, संजय कुमार इंटर्न, समस्त प्रबंधक सहित कुल 40 प्रक्षिणर्थी सम्मिलित हुए। 

 

 


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