भोपाल : मध्य प्रदेश में पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। जिसका प्रभाव जीव-जंतुओं के साथ इंसान की सेहत पर भी पड़ रहा है। जिसको देखते हुए कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने पराली जलाने पर दो महीने के लिए रोक लगा दी है। जिसको लेकर आदेश भी जारी कर दिया है। इस दौरान अगर कोई भी नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर ने सभी SDM को निर्देश किए जारी
कलेक्टर ने NGT (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि पराली में आग लगाना कृषि के लिए नुकसानदाय होने के साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से भी हानिकार है। इसके कारण बीते वर्षों में गंभीर स्वरुप की अग्नि दुर्घटनाएं घटित हुई है और व्यापक संपत्ति की हानि हुई है। दोबारा इस हरह की घटना न हो इसके इसलिए कलेक्टर ने सभी एसडीएम को पराली यानी नरवाई जलाने पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
धान की कटाई के बाद जलाई जाती है पराली
दरअसल, सर्दी का मौसम आते ही पराली जलाने की खबरे आने लगती हैं। किसान अक्सर धान की कटाई के बाद पराली को जला देते हैं. इससे प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. पराली जलाने से जीव-जंतुओं और पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचता है। जिसको देखते हुए भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह द्वारा दो माह के लिए पराली यानी, नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
पराली जलाने से नुकसान
ज्ञात हो कि फसल कटाई के बाद किसान अगली फसल के लिए खेत तैयार करने के उद्देश्य से आग लगाकर डंठलों को नष्ट कर देते हैं। इससे व्यापक अग्नि दुर्घटनाएं होने के साथ जनहानि की आशंका बनी रहती है। ऐसा करने से एक तरफ जहां प्रदूषण फैलता है तो वही प्राकृतिक वनस्पति जीव जंतु आदि नष्ट हो जाते हैं। इससे खेतों की उर्वरक क्षमता पर भी असर पड़ता है। इतना ही नहीं साल दर साल उत्पादन भी प्रभावित होता है।