इंदौर : मध्य प्रदेश में शराब घोटाले को लेकर आज ED ने बड़ी कार्रवाई करते हुए आबकारी अधिकारियों और शराब कारोबारियों के ठिकानों पर छापा मारा। यह कार्रवाई इंदौर, भोपाल, मंदसौर और जबलपुर जिले सहित कई शहरों में जारी है। ED की टीम सुबह चयनित ठिकानों पर पहुंची और 71 करोड़ रुपये के फर्जी बैंक चालान घोटाले को लेकर आबकारी अधिकारियों और शराब कारोबारियों के ठिकानों पर छापेमारी की। बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की इस कार्रवाई से मध्य प्रदेश में हड़कप मच गया है।
FIR के आधार पर की गई कार्रवाई
बता दें कि ईडी की18 टीम मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, मंदसौर में विभिन्न शराब ठेकेदारों के 11 परिसरों में तलाशी और जब्ती की कार्रवाई कर रही है। फ़िलहाल करवाई को लेकर अधिकारियों द्वारा कई बयान जारी नहीं किया गया है। ईडी की टीम दस्तावेजों की जांच पड़ताल में जुटे हुए है। ईडी ने यह करवाई शराब ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी।
सरकार को हुआ करोड़ों का नुकसान
मामले में की गई जांच में पता चला कि आरोपी शराब ठेकेदार छोटी-छोटी रकम के चालान तैयार कर बैंक में जमा करते थे। चालान के निर्धारित प्रारूप में "रुपये अंकों में" और "रुपये शब्दों में" लिखे होते थे। मूल्य अंकों में भरा जाता था, हालांकि, "रुपये शब्दों में" के बाद खाली जगह छोड़ दी जाती थी। धनराशि जमा करने के बाद, जमाकर्ता बाद में उक्त रिक्त स्थान में बढ़ी हुई धनराशि को लाख हजार के रूप में लिख देगा, तथा ऐसी बढ़ी हुई धनराशि के तथाकथित चालान की प्रतियां संबंधित देशी मदिरा गोदाम में या विदेशी मदिरा के मामले में जिला आबकारी कार्यालय में जमा कर देते थे। बताया जा कहा इस घोटाले की रकम 72 से बढ़कर 100 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।
इनके ठिकानों पर पड़े छापे
शराब ठेकेदार एमजी रोड समूह के अविनाश और विजय श्रीवास्तव, जीपीओ चौराहा समूह के राकेश जायसवाल, तोपखाना समूह के योगेंद्र जायसवाल, बायपास चौराहा देवगुराड़िया समूह राहुल चौकसे, गवली पलासिया समूह सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल के ठिकानों पर छापे पड़े हैं।
कैसे हुआ घोटाला ?
जांच में सामने आया है कि आरोपी ठेकेदार छोटी-छोटी रकम के ट्रेजरी चालान बनाकर बैंक में जमा करते थे। चालान के फॉर्मेट में जहां ‘रुपये अंकों में’ रकम भर दी जाती थी, वहीं ‘रुपये शब्दों में’ लिखने के बाद खाली जगह छोड़ दी जाती थी। बाद में जमा करने के बाद, उसी खाली स्थान पर बड़ी रकम जैसे लाखों और करोड़ों रुपये जोड़कर लिख दिया जाता था। इन फर्जी चालानों की प्रतियां देशी मदिरा गोदामों या विदेशी मदिरा गोदामों में जमा करवाई जाती थी। इस तरीके से असली जमा राशि कम दिखाकर सरकारी खजाने में करोड़ों का चूना लगाया गया।