Sunday Special: इतिहास के पन्नों में 7 नवंबर की तारीख भारत के एक महान वैज्ञानिक के जन्मदिन के तौर पर दर्ज है। आज विज्ञान (Science) के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) जीतने वाले एशिया (Asian) के पहले वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकटरमन (great scientist Sir Chandrasekhar Venkataraman) का जन्म हुआ था।
7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु (Tamil Nadu) के तिरूचिरापल्ली (Tiruchirappalli) में जन्में वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकटरमन को प्रकाश परावर्तन के क्षेत्र (reflection of light) में उनकी खोज के लिए 1930 में भौतिक शास्त्र (Physics) के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकटरमन ने वक्त अपनी यह अद्भुत खोज की वह भारत की आजादी से पहले का कठिनाइयों से भरा दौर था। और प्रयोग करने के लिए आधुनिक यंत्रों और प्रयोगशालाओं का नितांत अभाव था। लेकिन तमाम मुश्किलों के बावजूद विज्ञान के प्रति सर चंद्रशेखर वेंकटरमन का रुझान उन्हें विश्व के शीर्ष सम्मान तक ले गया।
युवा विज्ञानी ने शिक्षार्थी के रूप में कई महत्त्वपूर्ण कार्य किए। युवा विज्ञानी चंद्रशेखर वेंकटरमन का 1906 में आपका प्रकाश विवर्तन पर पहला शोध पत्र लंदन की फिलसोफिकल पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। उसका शीर्षक 'आयताकृत छिद्र के कारण उत्पन्न असीमित विवर्तन पट्टियां' था।
जब प्रकाश की किरणें किसी छिद्र में से अथवा किसी अपारदर्शी वस्तु के किनारे पर से गुजरती हैं तथा किसी पर्दे पर पड़ती हैं, तो किरणों के किनारे पर मद-तीव्र अथवा रंगीन प्रकाश की पट्टियां दिखाई देती है। यह घटना विवर्तन' कहलाती है। विवर्तन गति का सामान्य लक्षण है। इससे पता चलता है कि प्रकाश तरगों में निर्मित है।