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चंचल जैन भोपाल : 35 की उम्र में संन्यासी बनी चंचल, लिया सल्लेखना महाव्रत

चंचल जैन भोपाल : 35 की उम्र में संन्यासी बनी चंचल, लिया सल्लेखना महाव्रत

चंचल जैन भोपाल : मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की रहने वाली 35 वर्षीय चंचल जैन अब सन्यासी बन अध्यात्म की ओर चल पड़ी है। 4 साल में लीवर कैंसर से लड़ते हुए, मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में 90 कीमोथेरेपी के बाद भी कैंसर से निजात ना मिलने पर घर परिवार त्याग कर, संन्यास लेकर जैन रीति अनुसार संलेखना व्रत ले लिया।

चचंल ने भोपाल में विराजमान 108 आचार्यश्री समय सागर महाराज एवं 105 गुरुमति माताजी की शिष्या आर्यिका 105 दृढ़मति माताजी के सानिध्य में पर्यूषण पर्व के दौरान सल्लेखना व्रत का महा संकल्प लिया है। सल्लेखना या संतरा भोपाल सिटी के चौक जिनालय में 105 दृढ़मति माता के सानिध्य में चल रहा है। चौक जिनालय में यह अपने तरह की अनोखी साधना 10 सितंबर से शुरू हुई है, जो पूजाश्री माता जी के मृत्यु तक चलेगी। दीक्षा लेने के बाद पूजाश्री माताजी मोन साधना में चली गई हैं। उनके परिवार एवं समाज जन लगातार णमोकार मंत्र एवं भक्तांबर का पाठ जाप कर रहे हैं। 

बिमारी में नहीं छोड़ा धर्म

माताजी के लौकिक जीवन के पति कोलार नयापुरा निवासी सुधीर जैन ने बताया कि माताजी का लौकिक नाम चंचल जैन था, उनकी उम्र 35 वर्ष है। माताजी की 2 बेटी स्वस्ति उर्फ पीहू 9 साल एवं यशस्वी 4 साल है। आपको बता दे की चंचल जैन गृहस्थ जीवन में नयापुरा जैन मंदिर के अध्यक्ष अनिल जैन की भतीजी एवम सुधीर जैन की धर्मपत्नी हैं। चंचल की मां इंद्रा जैन ने बताया की चंचल बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति की रही है, इतनी बड़ी बीमारी होने के बाद भी उन्होंने कभी धर्म नही छोड़ा। परिजनों का कहना है कि सभी परिवार जन एवं रिश्तेदार माता जी की सम्यक समाधी हो ऐसी प्रार्थना भगवान महावीर स्वामी से 24 घंटे कर रहे है। उनका संयुक्त परिवार है। चंचल को वर्ष 2021 जनवरी में चौथी स्टेज के लिवर कैंसर की जानकारी लगी थी, तब से ही मुंबई टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के इलाज में उनकी 90 से अधिक कीमोथेरेपी हो चुकी हैं।

चंचल ने क्यो लिया सन्यास?

चंचल जैन के गृहस्त जीवन के पति सुधीर जैन ने बताया की इतना इलाज कराने पर भी सफलता न मिलने पर चंचल ने संन्यास लेकर सल्लेखना व्रत का महा संकल्प लेने की इच्छा जताई,चंचल की भावना थी की में कैंसर जैसी बिमारी को तो नही हरा सकती लेकिन में संन्यास लेकर सम्यक समाधी को प्राप्त करना चाहती हुं। जिसके लिए दोनो परिवार ने अपनी स्वकृति प्रदान की। 10 सितंबर को चंचल जैन ने घर परिवार त्याग कर 108 आचार्यश्री समय सागर महाराज एवं 105 गुरुमति माताजी की शिष्या आर्यिका 105 दृढ़मति माताजी से दीक्षा लेकर सल्लेखना या संतरा का महाव्रत ले लिया।


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