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भोरमदेव अभ्यारण में पहली बार तितली सम्मेलन का आयोजन, देश के 14 राज्यों से पहुंचेंगे प्रकृति प्रेमी व शोधकर्ता

भोरमदेव अभ्यारण में पहली बार तितली सम्मेलन का आयोजन, देश के 14 राज्यों से पहुंचेंगे प्रकृति प्रेमी व शोधकर्ता

संजय यादव//कवर्धा  :- कवर्धा जिले के भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य में  28 और 29 सितंबर को दो दिवसीय तितली सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। इस खास सम्मेलन में भाग लेने दो महिने पूर्व रजिस्ट्रेशन किया जा रहा था जो कि 31 अगस्त को बंद किया गया।इस कार्यक्रम में भाग लेकर लगभग 14 राज्यों के 230 से अधिक छात्र-छात्राएं व शोधकर्ताओं ने रजिस्ट्रेशन काराया है, इन सभी लोगों में वन विभाग जिन्हें आमंत्रित करेंगी वहीं इस कार्यक्रम में भाग ले पाएंगे, 27 सितंबर को सभी आमंत्रित सदस्य कवर्धा पहुंचेंगे जिसके बाद 28 और 29 सितंबर को तितलियों के स्वर्ग में विजिट करेंगे और 29 सितंबर की साम को ही कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।

पहली बार होने जा रहा इस तरह का कार्यक्रम:

इस तरह का कार्यक्रम जिले में पहली बार होने जा रहा है,  कार्यक्रम की तैयारी को लेकर वन विभाग तैयारी में जोर-शोर से भिड़ा हुआ है। इस बटरफ्लाई कैंप का उद्देश्य है की तितलियों का स्वर्ग कहे जाने वाले भोरमदेव अभ्यारण में कितने प्रकार की तिल्लियों मौजूद है इसे जानना और रिकॉर्ड बनाना है. तितलियों को लेकर लोगों को जागरूक करना और इनका संरक्षण कैसे करे इसके बारे में बताना है, और खास तितलियों को हाईलाइट कर आम लोगों के बीच इनकी पहचान बनाना है।

100 से अधिक प्रकार की तितलियां मौजूद :

जानकारी के मुताबिक भोरमदेव अभ्यारण में 100 से अधिक प्रकार की तितलियां मौजूद हैं जिनमें सबसे खास ऑरेंज को लीफ बटरफ्लाई है जिसे प्रकृति ने ऐसा रुप दिया है जो आपके दिलो-दिमाग में छाप छोड़ देगी . इसके पंखों का उपरी हिस्सा चमकदार नारंगी काले रंग का होता है मानों सूर्यास्त के आगोश में डुबी हो लेकिन जब पंख बंद करती है तो साधारण सुखे पत्तों की तरहां दिखती है. एक अदभुत छलावा जिसे आप भी देख कर हैरान रहा जाएंगे. यहां तिल्ली जिवंत उदाहरण है कैसे प्रकृति ने जीवन को बचाने अद्वितीय कला और कौशल का विकास किया है।

 वन मंडल अधिकारी शशि कुमार ने बताया की पहली बार भोरमदेव अभ्यारण में तितली सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है,  इसका उद्देश्य है कि अभ्यारण में कितने प्रकार की तितली है इसे जानना और उनकी गड़ना करना और उसके संरक्षण का प्रयास करना हैं ।
 


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