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हारी विधानसभा सीटों पर बाजी पलटने MP भाजपा का बड़ा प्लान

हारी विधानसभा सीटों पर बाजी पलटने MP भाजपा का बड़ा प्लान

मध्यप्रदेश भाजपा : महज पंद्रह महीने के कांग्रेस के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए, तो भाजपा तकरीबन दो दशक से मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज है। भाजपा 2023 के विधानसभा चुनाव में 163 सीटें जीतकर फिर से राज्य की सत्ता हासिल कर ली है। इतना जनाधार और भारी-भरकम सीटें हासिल करने के बावजूद भाजपा को कांग्रेस का ग्रामीण और आदिवासी बहुल सीटों पर बना हुआ जनाधार खटक रहा है। इसके लिए भाजपा साल 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में हारी हुई विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए अभी से मैदानी तैयारियां शुरू कर दी है। 

भाजपा यह काम सदस्यता अभियान के जरिए करना चाह रही है। पार्टी को लग रहा है कि सदस्यता अभियान पर फोकस कर वह बूथों पर जीत कर हारी बाजी पलटने में कामयाब हो सकती है। इसीलिए पार्टी ने आगामी 2028 के विधानसभा चुनाव से पहले हारे बूथों पर अपना जनाधार बढ़ाने की तैयारी तेज कर दी है। दरअसल भाजपा का राष्ट्रव्यापी सदस्यता अभियान चल रहा है, जो 31 अक्टूबर तक चलने वाला है। इसके लिए भाजपा हर जाति, वर्ग और समाज के लोगों को सदस्य बनाने की तैयारी कर रही है। पार्टी ने हारी हुई सीटों पर सदस्यता का जिम्मा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सौंपा है।

भाजपा की खास रणनीति 

भाजपा के अंदर कांग्रेस की परंपरागत सीटों को नहीं जीत पाने की कसक बरकरार है। कांग्रेस की परंपरागत सीटों को जीतने की रणनीति इस सदस्यता अभियान में स्पष्ट दिखती है। विधानसभा चुनाव में भिंड जिले की लहार विधानसभा भाजपा इस बार जीत चुकी है। लोकसभा में छिंदवाड़ा पर भी फतह हासिल कर चुकी है। छिंदवाड़ा में 2023 के चुनाव में एक भी सीट भाजपा के पास नहीं थी, लेकिन अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह को भाजपा में शामिल कराकर उप चुनाव में भाजपा यहां जीत दर्ज कर चुकी है।

भाजपा के निशाने पर राघौगढ़-गंधवानी 

भाजपा प्रदेश में अपनी पैठ मजबूत करने में जुटी है, उनमें राजगढ़ जिले की राधौगढ़ विधानसभा प्रमुख है। राधौगढ़ में भाजपा अब तक एक बार भी नहीं जीती है। इस सीट पर पहले पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और अब उनके चिरंजीव व पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह लगातार जीत हासिल कर रहे है। इसके अलावा कांग्रेस के कब्जे वाली वह विधानसभा सीटें भी है, जिन पर भाजपा 2003 के बाद से बहुत कम चुनावों में जीत दर्ज की है। इनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल की चुरहट, पूर्व मंत्री ओंकार सिंह मरकाम की डिंडोरी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की गंध्वानी विस सीट शामिल है।

लोकसभा में हार से चिंता!

भाजपा भारी बहुमत के साथ विधानसभा और लोकसभा का चुनाव मध्यप्रदेश में जीती है, लेकिन इन दोनों प्रमुख चुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत उस औसत में कम नहीं हुआ जितना कम होने की संभावना भाजपा की थी। प्रदेश की सात ऐसी विधानसभा सीटें भी हैं, जहां 2023 के चुनाव में भाजपा का विधायक बना, लेकिन लोकसभा के चुनाव में उस विस सीट पर भाजपा हार गई। इन सीटों को लेकर भी भाजपा आशंकित है। ऐसे में भाजपा कांग्रेस की परंपरागत सीटें मानी जाने वाली विधानसभाओं में हारी बाजी को जीत में पलटने के लिए सदस्यता अभियान पर जोर दे रही है।

ग्रामीण क्षेत्र को साधने में जुटी भाजपा

भाजपा को अभी आदिवासी बहुल सीटों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों वाली विधानसभा सीटों पर कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है। भाजपा ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस को पटखनी देने का जिम्मा किसान मोर्चा और सहकारिता प्रकोष्ठ को सौपा है। ग्रामीण क्षेत्र में भाजपा मीची और प्रकोष्ठ के जरिए हर बूथ पर 100 किसानी और ग्रामीणों की भाजपा का सदस्य बनाने का विशेष अभियान बला रही है। अभियान में भाज्या किरानी की अधिक से अधिक संख्या में आपना सदस्य बनाकर उसे वोट बैंक में बदलने की नीति पर कार्य कर रही है। इसके साथ भाजपा ग्रामीण क्षेत्र के उन लोगों को भी भाजपा का सदस्य बना रही है, जो केंद्र या मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के किसी न किसी योजना के लाभायी अथवा हितग्राही है।


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