भोपाल।यूनियन कार्बाइड के बाकी बचे 337 मेट्रिक टन जहरीले कचरे को नष्ट (डिस्पोज) करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जल्दी ही इस कचरे को बड़े कंटेनरों के जरिए पीथमपुर भेजकर उसे नष्ट किया जाएगा। इसे 12 कंटेनरों में सुरक्षित तरीके से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पीथमपुर भेजा जाएगा। यह कॉरिडोर बुधवार को बनाया जा सकता है। इन कंटेनरों के साथ पुलिस सुरक्षा बल, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड तथा क्विक रिस्पांस टीम रहेगी। यह कंटेनर लीक प्रूफ एवं फायर रेजिस्टेंट हैं। प्रति कंटेनर 2 प्रशिक्षित ड्राइवर नियुक्त किए गए हैं।
संचालक गैस राहत एवं पुनर्वास स्वतंत्र कुमार सिंह ने को बताया कि केंद्र सरकार की ओवर साइट कमेटी के निर्देशों एवं सुपरविजन के अनुसार यूनियन कार्बाइड के शेष बचे 337 मीट्रिक टन रासायनिक अपशिष्ट (जहरीला कचरे) के विनष्टीकरण की कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि 337 मीट्रिक टन यूसीआईएल अपशिष्ट की पैकिंग, लोडिंग और परिवहन सीपीसीबी के जरिए निर्धारित मापदंडों के अनुसार और सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के साथ विशेष 12 कंटेनरों से किया जाएगा। इन कंटेनरों का मूवमेंट को जीपीएस से मॉनिटर किया जाएगा। अपशिष्ट का परिवहन भोपाल से पीथमपुर टीएसडीएफ तक एक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर शीघ्र किया जाएगा।
धार जिले के पीथमपुर में है एकमात्र प्लांट
सिंह ने बताया कि मप्र में औद्योगिक इकाइयों में निकलने वाले रासायनिक तथा अन्य अपशिष्ट के निष्पादन के लिए धार जिले के पीथमपुर में एकमात्र प्लांट है, जहां पर भस्मीकरण से अपशिष्ट पदार्थों का विनष्टिकरण किया जाता है। यह प्लांट प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित उद्योगों से जनित खतरनाक एवं रासायनिक अपशिष्ट के सुरक्षित निष्पादन के लिए स्थापित किया गया है। यह प्लांट सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के दिशा निर्देशानुसार संचालित है। सीपीसीबी की मॉनिटरिंग में सभी निर्धारित पैरामीटर अनुसार सुरक्षा मानकों का ध्यान रखते हुए 10 मीट्रिक टन अपशिष्ट विनष्टिकरण का ट्रायल रन 2015 में किया गया।
शेष बचे 337 मीट्रिक टन रासायनिक अपशिष्ट पदार्थों का निष्पादन सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट से समय-समय पर पारित आदेशों के अनुक्रम में तथा हाईकोर्ट से गठित ओवर साइट कमेटी, टास्क फोर्स कमेटी के निर्णय 19 जून 2023 के अनुक्रम में किया जा रहा है।
देश में पीथमपुर जैसे 42 संयंत्र
पीथमपुर में अत्याधुनिक बुनियादी ट्रीटमेंट, स्टोरेज एवं डिस्पोजल फेसिलिटी (टीएसडीएफ) अनुसार वर्ष-2006 से अन्य संस्थाओं के अपशिष्ट का भस्मीकरण ठीक उसी प्रकार से किया जा रहा है, जैसे लगातार क्रियाशील यूसीआईएल में अपशिष्ट संग्रहित हैं। देश में पीथमपुर जैसे 42 संयंत्र क्रियाशील हैं, जिसमें ऐसे रासायनिक अपशिष्ट पदार्थों का उपचार उपरांत निपटान किया जाता है। पीथमपुर में स्थापित यह कॉमन हैज़र्डस वेस्ट ट्रीटमेंट, स्टोरेज और डिस्पोज़ल फैसिलिटी (सीएचडब्ल्यू-टीएसडीएफ) एक अत्याधुनिक सुविधा है, जिसमें ख़तरनाक कचरे को सटीकता और सुरक्षा के साथ निष्पादन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे री-सस्टेनेबिलिटी लिमिटेड की सहायक कंपनी पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मेनेजमेंट प्रालि से संचालित, यह सुविधा भस्मीकरण, लैंडफ़िल प्रबंधन और उत्सर्जन नियंत्रण के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग कर अपशिष्टों का निष्पादन करती है।
हानिकारक तत्व पानी अथवा वायु में नहीं पाए गए
अपशिष्टों के निष्पादन के दौरान इस सुविधा के जरिए लगातार जल एवं वायु मापन कार्य किया जाता है। इस प्रकार यह सुविधा खतरनाक कचरे को पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित रूप से निपटाने और प्राकृतिक संसाधनों को दूषित करने के जोखिम को कम करने के लिए विशिष्ट समाधान प्रदान करती है। संचालक सिंह ने यह भी बताया कि सीपीसीबी से 2015 में किए गए यूसीआईएल अपशिष्ट विनिष्टिकरण के ट्रायल रन के दौरान तथा बाद में उत्सर्जन मानक, निर्धारित राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पाए गए थे। परिणामों के आधार पर वर्णित किया गया है कि यूसीआईएल कचरे के निष्पादन के बाद किसी तरह के हानिकारक तत्व पानी अथवा वायु में नहीं पाए गए। इनसीनेरेशन (भस्मीकरण) के बाद शेष बचे रेसीड्यूज़ का निष्पादन टीएसडीएफ (ट्रीटमेंट स्टोरेज एंड डिस्पोजल फेसेलिटी) में लैंड फिल के माध्यम से डबल कंपोजिट लाइनर सिस्टम से किया गया। इसका दुष्प्रभाव पर्यावरण एवं स्वास्थ्य पर नहीं पाया गया।