भोपाल। राजधानी में सिटी बसों की व्यवस्था पूरी तरह से फेल हो गई है। पिछले एक साल से 150 डीजल से चलने वालीं सिटी बसें डिपो में खड़ी हैं। अब सीएनजी से चल रहीं 70 सीएनजी बसों में से 45 बंद हो गईं। आॅपरेटरों का आरोप है कि नगर निगम अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के बीच सामंजस्य न होने से सभी का अलग-अलग हस्तेक्षप हो रहा है। इस कारण बसें धीरे-धीरे बंद होती जा रही हैं। जबकि इंदौर, जबलपुर और उज्जैन में भोपाल के आॅपरेटर बसें सफलतापूर्वक चला रहे हैं।
ऑपरेटरों का आरोप है कि हर जगह सिटी बसें में घाटे का सौदा रहता है, लेकिन हर जगह नगर निगम इस समस्या का हल निकालता है। भोपाल में नगर निगम अधिकारी और जनप्रतिनिधि ऑपरेटरों को ठेकेदार की तरह मानते हैं। यही कारण है कि धीरे-धीरे यहां की बसें बंद होती जा रही हैं।
जीपीएस लगाने का खर्च ज्यादा, पीछे हटे ऑपरेटर
सीएनजी बसों के बंद होने का एक और कारण यह भी है कि आरटीओ ने जीपीएस लगाना जरूरी कर दिया है, जिसमें काफी खर्च आ रहा है। ऑपरेटर इसका खर्च नहीं उठा सकते हैं। नगर निगम की बीसीएलएल कंपनी को इसकी जिम्मेदारी लेना चाहिए। निगम ने पूरी जिम्मेदारी ऑपरेटर पर डाल दी है, इसलिए डीजल के बाद सीएनजी बसें में भी अब डिपो में खड़ी होती जा रही हैं।
ठोस कदम उठाया जाएगा
बसों को लेकर चर्चा चल रही है। जल्दी ही इसको लेकर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।
मनोज राठौर, डायरेक्टर, बीसीएलएल कंपनी