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Bhopal Aiims News : 96 करोड़ से पीडियाट्रिक सेंटर तो 80 करोड़ से बनेगा ओपीडी

Bhopal Aiims News : 96 करोड़ से पीडियाट्रिक सेंटर तो 80 करोड़ से बनेगा ओपीडी

भोपाल। एम्स में किडनी और हार्ट के मरीजों को अब 24 घंटे इलाज मिलेगा। साथ ही चार नई डायलिसिस मशीन लगाई जा रही हैं, जिससे ज्यादा मरीजों को इलाज मिलेगा। केंद्र से 96 करोड़ के एपेक्स पीडियाट्रिक सेंटर व 80 करोड़ के सेंट्रल ओपीडी ब्लॉक का बजट पास हो गया है, जिससे बच्चों से लेकर ओपीडी में आने वाले सभी मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी। 

यह जानकारी सोमवार को  एम्स निदेशक डॉ. अजय सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया। केंद्र से इसके लिए जरूरी मैन पावर के लिए अनुमित मिल गई है। डॉ. सिंह ने कहा कि एक अतिरिक्त एमआरआई मशीन भी पीपीपी मोड पर चलाई जाएगी। यही नहीं, एम्स के क्रिटिकल यूनिट में नए 70 बेड जोड़े जा रहे हैं, जिससे विभाग में कुल बैड 230 हो जाएंगे। वहीं पूरे अस्पताल में 960 बेड संचालित हैं, जिनकी संख्या बढ़ा कर 1260 की जा रही है।

इन सुविधाओं को मिली मंजूरी

एपेक्स पीडियाट्रिक सेंटर: 16 साल तक के बच्चों के पंजीयन से लेकर जांच व इलाज तक होगा। यहां कैंसर, किडनी, हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों के इलाज के साथ यहां जटिल सर्जरी भी की जाएंगी। इलाज के दौरान बच्चों को यहां-वहां भटकने की जरूरत नहीं होगी। प्रदेश का इकलौता सेंटर होगा।

सेंट्रल ओपीडी ब्लॉक: ओपीडी के लिए अलग विंग तैयार किया जाएगा। जहां सभी विभागों की ओपीडी एक साथ संचालित की जाएगी जिससे मरीजों को एक स्थान पर ही पंजीयन से लकर अलग अलग विभाग के डॉक्टर मिल सकेंगे। 

एम्स परिसर बड़ा होने पर वर्तमान में मरीजों को विभागों तक पहुंचने में खासी परेशानी होती है। सेंट्रल ओपीडी में एक ही बिल्डिंग में सारे डॉक्टरों की ओपीडी होगी। यही नहीं, इस विंग में मरीजों को सैम्पल कलेक्शन सेंटर और दवा की दुकान भी मिलेगी। 

पीईटी स्कैन: यह एक इमेजिंग परीक्षण है। यह ट्यूमर, हृदय रोग, मस्तिष्क विकारों जैसी बीमारियों के निदान के लिए जरूरी है। इसमें शरीर किस प्रकार काम कर रहा है, यह तक देखा जा सकता है। जबकि अन्य स्कैन से केवल शरीर की संरचना ही देखी जा सकती है।अब तक यह सुविधा राजधानी के तीन निजी केंद्रों के पास ही है।

गामा नाइफ: ब्रेन कैंसर, ब्रेन ट्यूमर जैसी घातक बीमारियों के इलाज के लिए गामा नाइफ सबसे एडवांस तकनीक है। साल 2019 में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था। इसका उपयोग ज्यादातर नसों में मौजूद छोटे ट्यूमर खासकर ब्रेन ट्यूमर के लिए किया जाता है। 
इसमें रेडिएशन केवल ट्यूमर पर दिया जाता है, जो कैंसर सेल के अंदर मौजूद डीएनए को नष्ट कर देता है। यह 90 फीसदी कारगर है।


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