
रायपुर: आयुष्मान योजना के तहत किए गए उपचार के बदले मिलने वाली प्रोत्साहन राशि के वितरण पर लगा ब्रेक पिछले डेढ़ साल से नहीं हट पाया है। योजना में इलाज के बदले डाक्टर सहित अन्य चिकित्सकीय स्टाफ को बड़ी राशि प्राप्त हो जाती थी।
इसकी बंदरबाट की लगातार शिकायतों के बाद राशि वितरण पर अघोषित तौर पर रोक लगाई गई थी, जिस पर अब तक अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। छोटे-बड़े सरकारी अस्पतालों में आने वाले 90 फीसदी मरीज आयुष्मान योजना के हितग्राही होते हैं। योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा मरीजों को उपचार लाभ देने के लिए डाक्टर सहित अन्य चिकित्सकीय स्टाफ को एक निश्चित हिस्सा इंटेसिव के रूप में दिया जाता है।
वेतन से ज्यादा राशि मिल जाती थी इंन्टेंसिव:
सूत्रों के अनुसार आंबेडकर अस्पताल के कई विभाग में कार्यरत सर्जन सहित बड़े चिकित्सकों को इंन्टेंसिव के रूप में वेतन से ज्यादा राशि मिल जाती थी। वहीं अन्य अस्पतालों के स्टाफ को निश्चित राशि का भुगतान होता था। दूसरी ओर प्रोत्साहन राशि के वितरण में गड़बड़ी का दौर शुरू हो गया और निचले स्तर के कर्मचारियों तक यह राशि पहुंचना ही बंद हो गई। विभिन्न शिकायतों की की वजह से योजना में पारदर्शिता लाने तक प्रोत्साहन राशि के वितरण पर अघोषित तौर पर रोक लगा दी गई। इस प्रोत्साहन राशि के वितरण पर लगे ब्रेक को करीब डेढ़ साल गुजर चुके हैं, इसकी वजह से चिकित्सकों के साथ अन्य स्टाफ को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
चिकित्सकीय स्टाफ के साथ उपचार की राशि का लगभग दस फीसदी हिस्सा अस्पताल में सुविधा के विस्तार के लिए दिया जाता है। इस मामले में स्टेट नोडल एजेंसी के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।
निजी अस्पतालों का भुगतान बाकी
सूत्रों का कहना है कि आयुष्मान योजना के तहत निजी अस्पतालों को उपचार की पूरी राशि का भुगतान अब तक नहीं किया गया है। प्राप्त होने वाली राशि के आधार पर उन्हें कुछ हिस्सा सरकारी अस्पतालों के साथ प्रदान किया गया है। राजधानी समेत प्रदेश में अभी भी कई अस्पतालों द्वारा आयुष्मान योजना में मरीजों का उपचार नहीं किया जाता है।