MP IT Raid : आयकर विभाग ने मेंडोरी में लावारिस हालत में मिली इनोवा से जब्त 52 किलो गोल्ड और 11 करोड़ कैश बरामद होने की कहानी में कई झोल हैं। यह इसलिए क्योंकि गोल्ड की मात्रा और कैश का वैल्यूबेशन में यह ज्यादा मिला था। कई स्त्रोत इसको बता रहे हैं। हालांकि, इसकी कोई अधिकृत तौर पर तो पुिष्ट नहीं है साथ ही कोई अधिकारी भी इसको लेकर मुंह नहीं खोल रहा है पर आयकर के अफसर जब अपनी उपलब्धि का फोटो और वीडियो बनवा रहे थे उस समय स्थानीय लोग भी थे और उनके सामने ही रात 2 बजे तक पूरी गिनती और जब्ती की कार्रवाई चली।
पुलिस ने क्यो किया इंतजार?
काफी देर बाद स्पष्ट हुआ कि सोने की मात्रा 52 किलो और कैश 11 करोड़ है। यदि स्थानीय लोगों की बात मानी जाए बरामद गोल्ड व कैश से ज्यादा गोल्ड व कैश देखा गया? एक बड़ा झोल तो यह भी है कि दोपहर में ही पुलिस को सूचना दे दी गई थी। इधर पुलिस का दावा है कि शाम 7 बजे सूचना मिली। फिर यह भी कहा जा रहा है कि पुलिस ने इंतजार किया कि कोई कार मालिक आएगा। किसी भी कार में कोई संदिग्ध सामान होने पर पुलिस को अधिकार है कि उसको चेक कर सके, और तो और पुलिस को जब्ती का भी अधिकार है। इसके बाद पुलिस जब्त माल को संबंधित विभाग के सुपुर्द कर सकती थी। फिर इस अधिकार का उपयोग पुलिस ने क्यों नहीं किया।
पुलिस ने इतनी देर क्यों की?
पुलिस ने आखिर उस कार को खोलकर चेक क्यों नहीं किया? पुलिस ने बाहर से केसे अनुमान लगा लिया कि इसमें कैश और गोल्ड है और केवल इसकी जांच आयकर विभाग ही कर सकता है। इतना हीं नहीं यदि आयकर विभाग को भी रात 10 बजे सूचना दी गई तो इतनी देर से क्यों? कुछ ऐसे सवाल है जिनका जबाब न तो पुलिस अफसरों के पास है और न ही आयकर के अधिकारी देना चाह रहे हैं। विधिक जानकारों का तो यहां तक कहना है कि यदि लोकायुक्त मामले की जांच करती तो गोल्ड और कैश जब्त हो जाता। साथ ही भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत आपराधिक मामला दर्ज होता।
दिल्ली क्यों गए डीजी?
लोकायुक्त डीजी जयदीप प्रसाद का दिल्ली जाना किसी के गले नहीं उतर रहा है। उनसे आखिर , कौन जवाब तलब करेगा? पर, ऐसी सूचना है कि चेतन गौर ने कई पूर्व आईएएस, कई पूर्व आईपीएस, कई नेताओं और एक वरिष्ठ नौकरशाह का जो काला चिट्ठा खोला है, वह कई लोगों की नींदें उड़ाने वाला है। चेतन ने दुबई के हवाला कारोबार का लिंग भी बताया है। चेतन के खुलासे से सारा सिस्टम हिला हुआ है। डीजी दरअसल,दिल्ली वही फाइल व डायरियां ले गए हैं। दिल्ली से कोई स्पष्ट सिग्नल मिलने के बाद आयकर, ईडी और सीबीआई किसी बड़ी कार्रवाई को अंजाम दे सकते हैं।
जांच कर रहा आयकर विभाग
जिस चेतन सिंह गौर के नाम से रजिस्टर्ड इनोवा कार मिली है वह लोकायुक्त के आरोपी पूर्व आरटीओ के आरक्षक सौरभ शर्मा का दोस्त निकला है। यह इनोवा भी उस दौरान मिली जब पूर्व आरक्षक के खिलाफ लोकायुक्त की कार्रवाई जारी थी। इनोवा वाहन में आरटीओ की प्लेट भी लगी थी। फिर सबसे पहले रातीबड़ पुलिस ने लोकायुक्त को मामले की सूचना क्यों नहीं दी?
सीसीटीवी में क्यों नहीं आई इनोवा?
कैश और गोल्ड लेकर कहीं से भी और किसी भी रास्ते से इनोवा मेंडोरी में विनय आसवानी के खाली प्लॉट में पहुंची, लेकिन किसी भी सीसीटीवी में क्यों कैद नहीं हुई। आयकर विभाग के अफसरों ने सीसीटीवी की जांच कराना अभी तक जरूरी नहीं समझा।
चेतन गौर को कब उठाया गया?
लोकायुक्त ने अब तक यह नहीं बताया है कि सौरभ शर्मा के यहां छापे का उसे कहां से इनपुट मिला। बताया जा रहा है कि चेतन पुलिस की हिरासत में हैं। उसी ने सारे इनपुट दिए हैं। माना जा रहा है कि चेतन को पुलिस ने काफी पहले उठा लिया था। उससे लंबी पूछताछ चल रही थी। उसी के इनपुट पर छापेमारी की गई। हालांकि, चेतन ने और क्या राज खोले हैं? इस बारे में लोकायुक्त ने फिलहाल कुछ भी नहीं कहा है।