विकास जैन भोपाल/निगम मंडल नियुक्तियां : मध्यप्रदेश निगम मंडलों में होने वाली नियुक्तियों का इंतजार नेताओं को आज भी है। प्रदेश भाजपा के कई दिग्गज निगम मंडलों में पद की आस लगा रहे है, लेकिन नियुक्तियां नहीं हो पाई। प्रदेश के मुखिया मोहन यादव प्रदेश की आर्थिक स्थिति को संभालने और संवारने मंें जुटे हैं। इसी के चलते निगम मंडलों की निुयक्तियों का टाल दिया है ताकि नियुक्तियों से शासन पर आर्थिक बोझ नहीं बढे। शिवराज सिंह ने भी सत्ता में रहते हुए एक दो निगम मंडलों में नियुक्तियां देकर बाकी की नियुक्तियों को छोड़ दिया था।
दरसअल, मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब है। विरासत में सीएम मोहन यादव को खजाना पूरी तरह से खाली मिला था। शिवराज सिंह चौहान खुद अपने एक बयान में कह चुके है कि जो भी पैसा था वो प्रदेश के विकास में खर्च किया गया है। इसलिए कर्ज तो लेना ही पड़ेगा। खैर प्रदेश के नए मुखिया मोहन यादव प्रदेश के खजाने को भरने का भरपूर प्रयास कर रहे है। जिसमें वे सफल होते भी दिखाई दे रहे है। प्रदेश का राजस्व बढा है और खर्चे कम करने वे सफल रहे है।
डंड़ा-झंड़ा उठाने वाले नेताओं को पद का इंतजार
मोहन यादव ने जब से सत्ता की कमान संभाली है तब से ही उन पर संगठन और कार्यकर्ताओं का दबाव है कि निगम मंडलों में नियुक्तियां की जाएं। ताकि वर्षो से पार्टी का डंडा-झंडा उठाकर घूम रहे कार्यकर्ताओं को अपनी मेहनत का फल मिले, लेकिन आर्थिक कारणों के चलते निगम मंडलों की नियुक्तियों को टाल दिया है।
फिलहाल मोहन यादव का कहना है कि संगठन चुनावों के बाद मंडलों में नियुक्तियां की जाएंगी, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि मोहन सरकार उन निगम मंडल-बोर्ड में ही नियुक्ति करेंगे जिनका आर्थिक भार सरकार पर न पड़े।
लाइन में लगे सिंधिया समर्थक?
प्रदेशभर के नेता निगमों-मंडलों-बोडों में पद पाने की जोड़-तोड़ में लगे हैं। मंडलों में सबसे ज्यादा विधानसभा चुनाव हारे केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक आस लगाकर बैठे है। सिंधिया समर्थकों में पूर्व मंत्री और सिंधिया की चहेती मानी जाने वाली इमरती देवी, पूर्व मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया और राजवर्धन सिंह दत्तीगांव जैसे नाम शामिल है। ये तीनों नेता सिंधिया के कट्टर समर्थक माने जाते है। चुनाव हारने के बाद से तीनों नेता प्रदेश की राजनीति से गायब भी दिखाई दे रहे है।
टिकट से वंचित नेताओं को भी आस
प्रदेशभर में ऐसे कई नेता है जो निगम मंडलों की जुगाड़ में हैं, एक तो वो जिन्हें टिकट से वंचित कर दिया गया और दूसरे वे जो कांग्रेस से आकर भाजपा में रचे-बसे हैं और पार्टी का काम कर रहे हैं। कई नेता ऐसे हैं जिन्हें संगठन का दायित्व दे दिया गया है, वे भी कोशिश में हैं कि कहीं एडजस्ट हो जाएं। अपने समर्थकों को एडजस्ट करवाने के लिए मंत्री और विधायकों ने भी लॉबिंग करना शुरू कर दिया है।
50 से ज्यादा मंडल-निगमों में होना हैं नियुक्तियां
प्रदेश में 50 से ज्यादा निगम-मंडल-बोर्ड ऐसे हैं जहां नियुक्तियां होनी हैं। इन पदों पर नियुक्तियों के लिए कई बार कवायदें चलीं, मगर वह अंजाम तक नहीं पहुंच पाईं। इसका एक कारण नेताओं द्वारा समर्थकों की नियुक्तियां कराने का दबाव बनाना भी है। कई बड़े नेता करीबियों को जिम्मेदारियां दिलाना चाहते हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री मोहन यादव ने संगठन चुनाव पूरा होने के बाद नियुक्तियां करने का फैसला लिया है और उसे निपटने में दो माह लगेंगे। इसके बाद ही मंडलों में नियुक्तियां होने की संभावना है।