भोपाल। मिर्गी (Epilepsy) के 10 में से 4 मरीज ही नियमित उपचार लेते हैं। यही वजह रही कि इस रोग के सिर्फ 29 फीसदी रोगियों की जीवन गुणवत्ता अच्छी है। यह दावा एम्स भोपाल के मेडिकल एडहेरेंस एंड क्वालिटी ऑफ लाइफ अमंग एपिलेप्सी पेशेंट नामक शोध में किया गया। यह अध्ययन डिपार्टमेंट ऑफ नर्सिंग और कॉलेज ऑफ नर्सिंग ने संयुक्त रूप से किया। जिसमें पल्लवी, रंजना वर्मा, राजरतन गुप्ता, नसीमा शफकत और उमा फलस्वाल की अहम भूमिका रही। यह शोध में एम्स में उपचार कराने वाले 200 मिर्गी के मरीजों पर दो साल तक किया गया।
शोध के मुख्य बिंदु
मिर्गी से पीड़ित मरीजों में 13 फीसदी विधवा व विदुर और 28 फीसदी तलाकशुदा हैं।
52 फीसदी मरीजों की आयु 40 साल से अधिक है।
कुल पीड़ितों में 55.5 फीसदी महिलाएं हैं।
61 फीसदी मरीजों के परिवार में यह रोग पहले किसी को भी नहीं हुआ।
64 फीसदी मरीज शहरी क्षेत्र के निवासी हैं।
विशेषज्ञों ने की यह मांग
इस अध्ययन के जरिए मांग की गई कि स्वास्थ्य पेशेवरों, सरकारों और हितधारक रोगी केंद्रित पहलों को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करें। जिससे मिर्गी के रोगियों को पूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिले।
200 मरीजों पर शोध
यह शोध दो सौ मरीजों पर किया गया। जिसमें मिर्गी के मरीजों में मेडिकल एडहेरेंस और जीवन की गुणवत्ता की पड़ताल की गई। इससे साफ हुआ कि जिन मरीजों ने नियमित उपचार लिया उनकी जीवन गुणवत्ता बेहतर मिली।
नसीमा शफकत, असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ नर्सिंग, एम्स