भोपाल। सहजन (Moringa) की पत्ति से निकाले गए कंपाउंड और कीमोथेरेपी के संयोजन से ब्रेस्ट कैंसर को अधिक तेजी से कंट्रोल कर सकते हैं। यही नहीं नई उपचार की तकनीक लिवर और किडनी पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव से भी बचाती है। यह दावा एम्स के जैव रसायन विभाग की नेहा मसारकर ने अपने शोध में किया है, जिसका टॉपिक स्तन कैंसर के खिलाफ पारंपरिक कीमोथेरेपी एजेंट्स के साथ मोरिंगा ओलिफेरा के जैव सक्रिय यौगिकों के संयोजन के प्रभाव था। एम्स प्रबंधन द्वारा गुरुवार को यह शोध जारी किया गया। जैव रसायन विभाग की नेहा मसारकर ने यह शोध विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. सुखेस मुखर्जी के मार्गदर्शन में किया। डॉ. मुखर्जी ने बताया कि स्तन कैंसर के खिलाफ पारंपरिक कीमोथेरेपी एजेंट्स के साथ सहजन की पत्ति से निकाले गए कंपाउंड का असर देखना था।
ऐसे हुआ शोध
शोध के लिए 30 इम्यून कॉमप्रोमाइ्ज्ड चुहे इंपोर्ट किए गए। इस विशेष प्रकार के चुहों को विशेष रूप से शोध के लिए तैयार किया जाता है। इन चूहों में पहले 15 दिन तक कैंसर के ट्यूमर को डेवलप किया गया। इसके बाद एक ग्रुप में सिर्फ कीमोथेरेपी और अन्य ड्रग्स से इलाज किया गया। वहीं दूसरे ग्रुप में सहजन की पत्ति से निकाले गए कंपाउंड और कीमोथेरेपी के संयोजन से इलाज किया गया। वहीं, अन्य दो ग्रुप के चुहों पर पत्ति से निकाले गए दो कंपाउंड को अलग अलग उपयोग किया गया। जिसके बाद 6 माह तक चुहों पर निगरानी रखी गई। तब यह रिजल्ट सामने आए।
शोध इलाज को सुरक्षित बनाने में करेगा मदद
नेहा मसारकर का यह शोध न केवल कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करता है, बल्कि यह एम्स भोपाल की वैज्ञानिक प्रगति और नवाचार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। प्राकृतिक यौगिकों और पारंपरिक उपचारों का यह संयोजन कैंसर के इलाज को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
डॉ. अजय सिंह, निदेशक, एम्स भोपाल