Jitu Patwari : कमलनाथ सरकार द्वारा लागू किए गए 27% ओबीसी आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस मुद्दे की सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। सुनवाई के ठीक एक दिन पूर्व पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने ओबीसी महासभा की राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य धर्मेन्द्र कुशवाहा और सुप्रीम कोर्ट के वकील वरुण ठाकुर के साथ पीसीसी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह पर आरोप लगाए।
साथ ही कहा कि महाधिवक्ता ने सरकार के इशारे पर कोर्ट में मामले को उलझाया और करोड़ों रुपए फीस लेकर ओबीसी वर्ग के हक को रोका है। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी आरक्षण पर किसी भी तरह की कानूनी रोक नहीं है, तब भी सरकार बहाना बनाकर मामले को टाल रही है।
उन्होंने आगे कहा कि मप्र के महाधिवक्ता को नर्सिंग घोटाले के मामले में करोड़ों रुपए का भुगतान किया गया है। भाजपा सरकार ने कार्यपालिका और विधायिका के पास अधिकार होते हुए भी 27% आरक्षण लागू नहीं किया, जिससे संविधान की मूल भावना और न्यायपालिका के निदेर्शों का उल्लंघन हो रहा है।
राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग
पटवारी ने राज्य सरकार पर संविधान की अवहेलना का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति से प्रदेश में तत्काल राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है। पीसीसी चीफ ने बताया कि 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने अध्यादेश जारी किया था। हालांकि इस अध्यादेश को एक मेडिकल छात्रा स्मृति दुबे द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसके चलते कोर्ट ने मेडिकल पीजी में बढ़े हुए आरक्षण के अमल पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद, जुलाई 2019 में इस अध्यादेश को विधानसभा द्वारा पारित कर कानून का रूप दे दिया गया। यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने की बजाय सरकार लगातार उन्हें धोखा दे रही है।