विकास जैन भोपाल/ MP Politics : बशीर बद्र का एक शेर है, कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यू ही कोई बेवफा नहीं हो जाता। ये शेर मध्यप्रदेश की राजनीति के एक सीनियर नेता पर पूरी तरह से फिट बैठता है। वो नेता जिसका राजनीतिक सफर बड़ा दिलचस्प रहा है। जिसने कभी चुनाव नही जीता, लेकिन फिर भी सेंट्रल मिनिस्टर बना, पार्टी के बड़े से बड़े पदों पर रहा। मैनेजमेंट के मामले में उनका कोई तोड़ नहीं। हम बात कर रहे है मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेता रहे सुरेश पचौरी की, जो वर्तमान में भाजपा के हो चले है।
सुरेश पचौरी का एक बयान सामने आया था, जब वे कांग्रेस की राजनीति करते थे। उनका बयान था की जहां सम्मान नही मिले वहां रहने से क्या फायदा, इसके बाद वे कांग्रेस से बीजेपी के पाले में आ गए, लेकिन उन्हें यहां भी कुछ नहीं मिला। जबकि कांग्रेस से भाजपा में आए कई नेता बहुत पा चुके है। हालांकि बीजेपी में रहते हुए वे पार्टी के कई कार्यक्रमों में दिखाई दिए। जब प्रदेश में एक सीट पर राज्यसभा उपचुनाव की बारी आई तो उम्मीद जताई जा रही थी की जिस प्रकार से बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी में आने के बाद राज्यसभा भेजा था, उसी प्रकार बीजेपी पचौरी को भी राज्यसभा भेजेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
सुरेश पचौरी वो नेता है जिन्होंने अपनी जवानी कांग्रेस में गुजार दी। वे करीब 50 साल तक कांग्रेस से जुड़े रहे। सुरेश पचौरी को राजीव गांधी का करीबी नेता माना जाता था। कांग्रेस में जब तक वे रहे उन्हें चुनाव लड़ने का खूब मौका मिला। हालांकि वे कभी चुनाव नहीं जीत सके। भले ही वे एक भी चुनाव नहीं जीते, लेकिन उनकी कांग्रेस में धाक कम नहीं रही। कांग्रेस ने साल 1981 में युवा कांग्रेस का महासचिव बनाया। इसके बाद वे युवा कांग्रेस के कई अहम पदों पर रहे। साल 1984 में कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। इसके बाद वे साल 1990, 1996 और 2002 में भी राज्यसभा के सदस्य रहे। कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा के कोटे से केन्द्र सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी बनाया, वे दो बार मंत्री रहे। इतना ही नहीं कांग्रेस ने पचौरी को प्रदेशअध्क्ष भी बनाया।
मैनेजमेंट एक्सपर्ट रहे पचौरी
सुरेश पचौरी भले ही खुद चुनाव जीत नहीं पाए, अपने चुनाव के लिए रणनीति नहीं बना पाए, लेकिन उन्हें चुनावी रणनीति बनाने और मैनेजमेंट एक्सपर्ट माना जाता है। उदहारण के लिए जब सुरेश पचौरी साल 2008 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे, तब कांग्रेस ने उनके नेतृत्व और उनके मैनेजमेंट में प्रदेश में 78 सीटें जीती थी। इससे पहले के चुनावों में कांग्रेस ने इतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। उस समय वे ना तो कमलनाथ के खेमे में थे और न ही दिग्विजय सिंह के खेमे थे।
क्या बीजेपी में खुश है पचौरी?
साल 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान सुरेश पचौरी ने कहा था कि लोकसभा के चुनाव देश के लिए अहम है। राहुल गांधी को पीएम बनाना है। उनका यह बयान काफी वायरल हुआ था, लेकिन जैसे ही अगले लोकसभा के चुनाव आए तो पचौरी ने पाला बदल लिया, वे बीजेपी में शामिल हो गए। जब सुरेश पचौरी बीजेपी में शामिल नहीं हुए थे तब अब पचौरी ने कहा था कि जहां सम्मान नहीं मिले वहां रूकने से क्या फायदा। बीजेपी में आने के बाद पचौरी को भले ही कुछ नहीं मिला, लेकिन वे खुश नजर आ रहे है। एक इंटरव्यू में पचौरी ने कहा है कि सम्मान का मतलब यह नहीं की पद मिले, उन्हें यहां सम्मान की नजरों से देखा जाता है और यही उनके लिए सम्मान है। कुल मिलाकर पचौरी कांग्रेस में थे तो उन्हें एक तौर पर बहुत कुछ मिला, लेकिन अब बीजेपी में हैं तो कुछ खास नहीं बदला। बीते कुछ सालों में वे कांग्रेस में साइडलाइन रहे और अब भी बीजेपी में ऐसे ही कुछ नजर आ रहे है।
क्या संगठन में मिलेगी जिम्मेदारी?
सुरेश पचौरी को बीजेपी ने अबतक कुछ नहीं दिया। उन्हें न तो लोकसभा का टिकट मिला और न ही उन्हें राज्यसभा भेजा गया, लेकिन अब बीजेपी संगठन के चुनाव चल रहे है। ऐसे में सुरेश पचौरी के लिए एक उम्मीद की किरण जाग सकती है। बीजेपी पचौरी को संगठन में पद देकर उन्हें कांग्रेस जैसा सम्मान दे सकती है। बीजेपी अब पचौरी को क्या देती है यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा।
शुरूआत में पहली पंक्ति में रहे पचौरी
कांग्रेस के कई ऐसे नेता जो संगठन में कई उच्च पदों पर रहे, मंत्री रहे, तो कई नेता कई बार विधायक रहे, वो बीजेपी में शामिल होने के बाद से पार्टी की गतिविधियों में कहीं दिखाई नहीं दिए, लेकिन सुरेश पचौरी बीजेपी में शामिल होने के शुरूआती दौर में जरूर बीजेपी में पहले पंक्ती में नजर आए। जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रदेश की राजधानी भोपाल में भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा के पक्ष में रोड़ शो करने पहुंचे थे, तब स्टेट हैंगर पर पीएम मोदी की आगवानी के लिए प्रदेश के मुखिया मोहन यादव, वीडी शर्मा समेत कई नेता मौजूद रहे। इन्ही नेताओं में सुरेश पचौरी भी मौजूद रहे। इस दौरान सुरेश पचौरी ने पीएम मोदी का स्वागत किया, वही पीएम मोदी ने सुरेश पचौरी के दोनों हाथ पकड़कर उनका अभीवादन स्वीकर करते हुए उनका हाल चाल भी जाना था। इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद वे पीएम मोदी की भोपाल में आगवानी करते नजर आए थें।