विकास जैन भोपाल / MP Politics : मध्यप्रदेश की राजनीति में बीते 21 साल पहले एक ऐसी नेता ने एंट्री मारी थी, जिसने शिवराज सिंह जैसे दिग्गज नेता की नाम में भी दम कर रखा था। वो नेता जिसका नाम सुनते ही लगने लगाता था की अब सियासी बवंडर आना तय है। हम बात कर रहे हैं प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और हिंदू फायरब्रांड नेता उमा भारती की। आखिर कहा हैं उमा भारती? शराबबंदी को लेकर सरकार को हिलाकर रख देने वाली उमा भारती प्रदेश की सियासत से क्यों दूर है?
मध्यप्रदेश से शिवराज सिंह की विदाई के बाद से उमा भारती प्रदेश की सियासत से लगभग पूरी तरह से गायब है। मोहन सरकार को अभी एक साल हुआ है। बीते दो साल पहले उमा ने शराबबंदी को लेकर हल्ला मचा रखा था। उमा भारती ने अपने शराबबंदी अभियान के दौरान शराब की दुकानों पर पत्थर भी फेंके थे, लेकिन प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए, फिर राम मंदिर का उद्घाटन हुआ। इसके बाद लोकसभा के चुनाव हुए, लेकिन उमा भारती जिस तरत से दिखाई देती थी, वैसी दिखाई नहीं दी। मध्यप्रदेश का निजाम बदलते ही उमा खामोश दिखाई दे रही है। हालांकि बीते महीनो पहले उमा ने एक फेक वीडियो को लेकर अपनी आवाज बुलंद की थी। मामले में मोहन सरकार ने तुरंत कार्रवाई भी की थी।
हुबली कांड के बाद उमा का इस्तीफा
उमा भारती ने कर्नाटक और हुबली कांड के बाद सीएम की कुर्सी से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपनी कुर्सी पर बाबूलाल गौर को दे दी थी, लेकिन आलाकमान ने सीएम की कुर्सी शिवराज सिंह को दे दी। शिवराज की वापसी होते ही उमा बैचेन सी नजर आने लगी थी। जब उमा भारती ने अपनी नई पार्टी भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई थी और चुनाव लड़ी तो बीजेपी ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया था। इसके बाद साल 2011 में उनकी वापसी हुई। बीजेपी में आने के बाद आलाकमान ने उमा भारती को यूपी की जिम्मेदारी सौंपी जिसमें वे सफल हुई और मोदी सरकार में उन्हें केन्द्रीय मंत्री बनाया गया।
उमा ने किया शिवराज की नाक में दम
जब प्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार थी तब उमा भारती ने शराबबंदी मामले को लेकर सरकार की नाक में दम कर रखा था। वे प्रदेश में शराबबंदी को लेकर सक्रिय रही। उन्होंने खुले तौर पर ऐलान किया की जबतक वे शराब नीति को खुद नहीं देख लेंती तब तक के लिए वे कुटिया में ही रहेंगी। इसके बाद उमा भारती ने अमरकंटक में डेरा डाल लिया। इसी दौरान उमा भारती ने एक शराब दुकान के बाद हंगामा कर दिया। इस दौरान उमा भारती ने शिवराज सरकार पर सवाल उठाए। इतना ही नहीं उन्होंने प्रदेशव्यापी आंदोलन का ऐलान भी कर दिया। उमा के कठोर कदम और बीजेपी पर उठ रहे सवालों को लेकर शिवराज सरकार पर सवाल उठने लगे। जिसके बाद बीजेपी ने चुनावी साल 2023 में उमा को मैनेज किया, आलाकमान और आरएसएस ने उमा को चुप रहने की नसीहत दी। जिसके बाद उमा के तेवर बदले, वे शिवराज सिंह पर प्यार लुटाती नजर आई। वही शिवराज सिंह खुद उमा भारती के निवास पहुंचे और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
फिर शिव सरकार पर बरसी उमा
शराबबंदी का मामला छोड़कर उमा कुछ दिनों तक शांत रही, लेकिन उन्होंने अस्पतालों का मामला पकड़ लिया। उन्होंने सरकारी अस्पतालों और स्कूलों को लेकर कहा की चुनाव में चार महीने बचे है, इतने समय में व्यवस्थाएं ठीक की जा सकती हैं। इसके बाद प्रदेश में चुनाव हुए और बीजेपी की सरकार बनी। लेकिन शिवराज सिंह चौहान से सीएम की कुर्सी छिन गई। उसी के बाद से उमा भारती प्रदेश की राजनीति से गायब है। वही मोहन सरकार आने के बाद उमा भारती मुद्दों को भी भूल गई। ऐसे में सवाल उठता है की आखिर उमा भारती कहां है?
क्या फिर वापसी करेंगी उमा?
मीडिया की खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि उमा भारती बृज क्षेत्र की यात्रा पर गई थी। इसके बाद उनका कोई पता नहीं है, लेकिन मध्यप्रदेश में भाजपा संगठन के चुनाव हो रहे है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बदले की अटकले लगाई जा रही है। वही राष्ट्रीय स्तर तक भी चुनाव और बदलाव होने है। ऐसे में क्या उमा भारती फिर से देश और प्रदेश की सियासत में वापसी करेंगी। या फिर राजनीति में एक्टिव होने के बाद किसी मुद्दे पर सरकार को घेरेंगी। राजनीतिक पंडितों की माने तो राम मंदिर का मुद्दा खत्म हो गया है। उमा भारती राम मंदिर के मुद्दे की तरह मथुरा में कृष्ण मंदिर और मस्जिद के मुद्दे पर आंदोलन कर सकती है। क्योंकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने के बाद से उमा भारती प्रदेश की राजनीति से गायब हो गई थी, वे बृज क्षेत्र में सक्रिय हो गई थी, जो इस बात के संकेत देता है।