MP BJP Jila Adhyaksh : भाजपा ने जिलाध्यक्षों की छठवीं सूची जारी कर दी। इसमें सिर्फ एक नाम टीकमगढ़ से सरोज राजपूत का है। खास बात यह है कि केंद्रीय मंत्री और क्षेत्रीय सांसद वीरेंद्र खटीक यहां अपनी पसंद का जिलाध्यक्ष नहीं बनवा पाए। वे विवेक चतुर्वेदी को अध्यक्ष बनवाने के लिए अड़े थे। इसकी वजह से ही टीकमगढ़ जिलाध्यक्ष की घोषणा अटकी थी। आखिरकार भाजपा के प्रदेश महामंत्री, पूर्व मंत्री हरिशंकर खटीक केंद्रीय मंत्री पर भारी पड़ गए और उनकी करीबी सराेज राजपूत को जिलाध्यक्ष घोषित कर दिया गया।
अब पांच जिलाध्यक्षों की घोषणा शेष
सराेज राजपूत के साथ भाजपा 62 में से 57 जिलाध्यक्षों की घोषणा कर चुकी है अब सिर्फ 5 जिले शेष रहे गए हैं। इनमें इंदौर शहर और ग्रामीण, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर और निवाड़ी शामिल हैं। इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय और तुलसी सिलावट के बीच सहमति नहीं है। प्रभारी मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री की भी इंदौर में रुचि है। नरसिंहपुर में मंत्री प्रहलाद पटेल और उदय प्रताप सिंह में मतभेद हैं। छिंदवाड़ा में सांसद विवेक बंटी साहू नया चेहरा चाहते हैं जबकि पार्टी वर्तमान अध्यक्ष को रिपीट करना चाहती है। निवाड़ी में भी केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक के कारण मामला अटका बताया जा रहा है।
इंदौर में दिग्गजों के बीच खिंचतान
प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में शहर और ग्रामीण जिलाध्यक्ष की ताजपोशी अबतक नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि दोनों पदों के लिए कई दावेदार जोर आजमा रहे है। और इन दावेदारों के पीछे विधायक से लेकर मंत्रियों की ताकत लगी हुई है। जिसके चलते बीजेपी जिलाध्यक्ष का फैसला नहीं कर पा रही है। जिलाध्यक्ष को लेकर रस्साकश्शी होने लगी है।
बीजेपी नहीं चाहती विवाद
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इंदौर सीएम मोहन का प्रभार वाला क्षेत्र है। प्रदेश की राजनीति में इंदौर से कई बल्लम नेता सरकार में बड़े बड़े पदों पर आसीन है। बीजेपी नहीं चाहती की कोई विवाद उत्पन्न हो, इसलिए नेताओं में तालमेल बिठाने के लिए पार्टी को समय लग रहा है। इंदौर हमेशा से राजनीति के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखता आया है। इंदौर के रहने वाले मोहन सरकार में कद्दावर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहे है। इसके अलावा कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में बीजेनपी ने जिले की सभी 9 सीटों पर जीत भी दर्ज की है। इसके अलावा हाल ही में हुए जीतू यादव कांड से बीजेपी की छवि को भी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में जिलाध्यक्ष की तैनाती को लेकर बीजेपी फूंक फूंक कर कदम रख रही है।