Mahashivratri 2025 : रायसेन किले के प्राचीन मंदिर में भगवान शिव वर्षों से कैद हैं। यह ताला सिर्फ महाशिवरात्रि के दिन 12 घंटे के लिए खुलता है। 11वीं शताब्दी के आस-पास बने इस किले पर कुल 14 बार विभिन्न राजाओं, शासकों ने हमले किए। किला 1500 फीट ऊंची पहाड़ी पर दस वर्ग किमी में फैला है। सोमेश्वर धाम मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था है।
इस सीएम ने कराई थी प्राण-प्रतिष्ठा
यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है। 1974 में नगर के लोगों ने मंदिर खोलने की मांग की थी। साथ ही शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए आंदोलन किया था। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी ने महाशिवरात्रि पर खुद आकर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा कराई थी। तब से हर शिवरात्रि पर ताला खोला जाता है। इसके साथ ही विशाल मेला भी लगता है।
धोखे का शिकार हो गए थे राजा पूरनमल
उल्लेख मिलता है कि दिल्ली का शासक शेरशाह सूरी 4 माह की घेराबंदी के बाद भी इस किले को नहीं जीत पाया था। जिसके बाद उसने तांबे के सिक्कों को गलवा कर यहीं तोपों का निर्माण किया, तब कहीं जाकर शेरशाह को जीत नसीब हुई। शेरशाह ने इस किले को घेरा, तब 1543 ईसवीं में यहां राजा पूरनमल का शासन था। वह शेरशाह के धोखे का शिकार हुआ था। जब राजा पूरनमल को मालूम पड़ा कि वह धोखे का शिकार हो गया है, तो उसने अपनी पत्नी रत्नावली का स्वयं सिर काट दिया था, जिससे वह शत्रुओं के हाथ न लग सके।
किले से जुड़ी अहम घटनाएं
17 जनवरी 1532 ई. को बहादुर शाह ने रायसेन किले का घेराव किया। 6 मई 1532 ई. को रायसेन की रानी दुर्गावती ने 700 राजपूतानियों के साथ जौहर किया। 10 मई 1532 ई. को महाराज सिलहादी, लक्ष्मणसेन सहित राजपूत सेना का बलिदान। जून 1543 ई. में रानी रत्नावली समेत कई राजपूत महिलाओं एवं बच्चों का बलिदान। जून 1543 ई. में शेरशाह सूरी द्वारा किए गए विश्वासघाती हमले में राजा पूरनमल और सैनिकों का बलिदान।