रायपुर: छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार के द्वारा शांति स्थापित करने के उद्देश्य से नक्सल क्षेत्रों में नक्सलवादी आत्मसमर्पण पीड़ित को राहत और पुनर्वास नीति 2025 लागू और की गई है। आत्मसमर्पण करने वाले सक्रिय ईनामी नक्सलियों और उनके परिवारजनों को इस नीति के अंतर्गत रोजगार, शिक्षा और वित्तीय सहायता जैसी कई सुविधाएं प्रदान की जाएगी। साथ ही 18 वर्ष की आयु तक बच्चों को प्राथमिकता और निशुल्क आधारित शिक्षा दी जाएगी। यदि किसी आत्मसमर्पित नक्सली ने नक्सलियों के विरुद्ध अभियान में पुलिस को विशेष सहयोग दिया है और इसके कारण उसकी जान व संपत्ति को खतरा उत्पन्न हुआ है तो पुलिस विभाग के समकक्ष या आरक्षक पद पर उसे प्रकरणों में नियुक्त किया जा सकेगा।
निशुल्क शासकीय सेवा का प्रावधान:
इसके अलावा बाकि अन्य विभागों की नियुक्ति के लिए जिला स्तरीय समिति की अनुशंसा की जरुरत है। साथ ही ईनामी नक्सली के आत्मसमर्पण की स्थिति में 5 लाख रुपए या उससे अधिक के पात्रता रखने पर नक्सली और उनके परिवार के किसी भी एक सदस्य को नियुक्त कर शासकीय सेवा प्राप्त करने का अवसर दिया जाएगा। यदि किसी कारणवश सेवा नहीं दी जा सकती तो ऐसे आत्मसमर्पित को एकमुश्त 10 लाख की राशि सावधि जमा के रूप में दी जाएगी। यह राशि 3 वर्षों के अच्छे आचरण के पश्चात एकमुश्त हस्तांतरित की जाएगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने आत्मसमर्पित नक्सलियों एवं उनके बच्चों की शिक्षा के लिए भी व्यापक प्रावधान किए हैं। बच्चों को 18 वर्ष की आयु तक निशुल्क एवं प्राथमिकता आधारित शिक्षा शासकीय व आवासीय विद्यालयों में दी जाएगी।
इन योजनाओं के दी जाएगी अंतर्गत सहायता :
छात्रावास की सुविधा आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा प्रदान की जाएगी। यदि आत्मसमर्पित नक्सली या उनके बच्चे निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ना चाहें तो उन्हें शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आरक्षित सीट पर प्रवेश एवं अनुदान राशि प्रदान की जाएगी। इच्छुक आत्मसमर्पित स्वयं भी शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं, जिसके लिए संबंधित विभागों की योजनाओं के अंतर्गत सहायता दी जाएगी। यह नई नीति राज्य में शांति एवं विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे न केवल आत्मसमर्पित नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिलेगी, बल्कि उनके परिजनों का भविष्य भी सुरक्षित किया जा सकेगा।