MP Politics : मध्यप्रदेश बीजेपी लंबी खिंचतान के बाद धीरे धीरे जिलाध्यक्षों का ऐलान कर रही हैं। बीजेपी ने अबतक 20 जिलों के मुखियाओं की घोषणा कर दी है। जिलाध्यक्षों की घोषणा के बाद अब विरोध भी देखा जाने लगा है। हाल ही में शिवपुरी जिला अध्यक्ष को लेकर पार्टी के ही भाजपा विधायक ने विरोध दर्ज किया है। इतना ही नहीं अब कहा जाने लगा है कि पार्टी ने कुछ लोगों के लिए अपना संविधान बदल दिया है?
दरअसल, बीजेपी ने शिवुपरी जिले में जसवंत जाटव को जिलाध्यक्ष बनाया है। जसवंत सिंह जाटव महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी है। जाटव की ताजपोशी को लेकर करेरा सीट से भाजपा विधायक रमेश खटीक ने अपनी आपत्ति जताई है। विधायक खटीक का कहना है कि किसी ऐसे नेता को जिले की कमान सौंपी जानी थी, जिसकी छवि साफ सुथरी हो, जो सभी को लेकर चले। चुनाव के दौरान जसवंत जाटव ने मेरा खुलकर विरोध किया था। मेरे पास इसके सबूत भी है।
महाराज के लिए बदला संविधान?
शिवपुरी जिलाध्यक्ष के विरोध को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर सवाल उठाए है। भोपाल से पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि भाजपा में संविधान नाम की कोई चीज नही है। संविधान है तो वो हैं नेता, नेताओं के चहेते अध्यक्ष बने है।
कौन है जसवंत जाटव?
आपको बता दें जसवंत जाटव ज्योतिरादित्य सिंधिया के कट्टर समर्थक है। सिंधिया जब बीजेपी में आए थे तब जाटव ने विधायक पद से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाईन कर ली थी। हालांकि वे फिर से विधायक नहीं बन पाए, लेकिन सिंधिया के करीबी होने के नाते जाटव को कैबिनेट मंत्री का दर्ज दिया गया और अब बीजेपी ने अपनी गाइडलाइन को तोड़ते हुए जाटव को जिलाध्यक्ष का पद दे दिया।
क्या है पार्टी गाइडलाइन?
बता दें कि बीजेपी की गाइडलाइन है कि किसी भी जिले का अध्यक्ष बनने के लिए 6 साल पार्टी में सक्रिय होना जरूरी है, लेकिन जसमंत जाटव को बीजेपी में रहते अभी 6 साल पूरे नहीं हुए है। वे साल 2020 में बीजेपी में आए थे। अभी उन्हें करीब 4 साल हुए है। पार्टी गाइडलाइन होने के बाद भी बीजेपी ने जाटव को जिलाध्यक्ष बना दिय। जिसके चलते चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।