मानसी चंद्राकर// रायपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत छह दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर हैं। इस बीच राज्य की सत्ताधारी पार्टी के प्रमुख नेताओं की गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। संघ हमेशा यह स्पष्ट करता रहा है कि उसकी सक्रिय राजनीति में कोई सीधी भूमिका नहीं है और न ही भविष्य में होगी। इसके बावजूद, यह सबको पता है कि भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की मातृसंस्था संघ ही है। ऐसे में, अगर सत्ताधारी दल के नेता संघ के कार्यालय जागृति मंडल का दौरा करते दिखाई दें, तो यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं होगी।
छह दिवसीय प्रवास के दौरान संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत संघ के प्रांतीय और राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक लेंगे। इस दौरान वे संघ की सांगठनिक गतिविधियों पर चर्चा करेंगे और पदाधिकारियों को दिशा-निर्देश भी देंगे। प्रवास के मद्देनजर बैठक का एजेंडा तैयार किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, डॉ. भागवत अलग-अलग सत्रों में उन पदाधिकारियों से चर्चा करेंगे जिन्हें बैठक की सूचना दी जाएगी। जागृति मंडल से राष्ट्रीय और प्रांतीय पदाधिकारियों को सीधी सूचना भेजी जाएगी, और वे पूरी तैयारी के साथ बैठक में भाग लेकर अपने प्रेजेंटेशन देंगे। बैठक में मुख्य रूप से संगठनात्मक गतिविधियों और संघ की शाखाओं के संचालन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
आरएसएस मना रहा शताब्दी वर्ष:
आरएसएस की स्थापना 1925 में पूर्व सरसंघचालक डॉ. केशवबलीराम हेडगेवार ने नागपुर में की थी, और इस प्रकार संघ वर्तमान में अपने शताब्दी वर्ष का उत्सव मना रहा है। शताब्दी वर्ष के अवसर पर संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत देशभर में प्रवास कर रहे हैं, और उनका ध्यान मुख्य रूप से संघ की शाखाओं, अनुषांगिक संगठनों और प्रकल्पों द्वारा चल रही गतिविधियों पर है। वे इन संगठनों और प्रकल्पों के कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं। इसके अलावा, शताब्दी वर्ष के तहत आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों पर भी वे चर्चा करेंगे और स्वयंसेवकों तथा पदाधिकारियों से सीधे संवाद स्थापित करेंगे।
बैठक अलग-अलग सत्रों में होगी :
संघ प्रमुख के प्रवास के दौरान जिन विषयों और मुद्दों पर वे पदाधिकारियों से चर्चा करेंगे, उन्हें पहले ही निर्धारित किया जा चुका है। तय एजेंडे के तहत वे सीधे इन मुद्दों पर चर्चा की शुरुआत करेंगे, जिससे पदाधिकारियों को न केवल अपनी बात रखने, बल्कि चल रही संगठनात्मक गतिविधियों के बारे में जानकारी देने और फीडबैक प्रदान करने में भी आसानी होगी। संघ प्रमुख की इन बैठकों में कार्य विस्तार के साथ-साथ कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों के गुणात्मक विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। प्रमुख एजेंडों में पंच परिवर्तन, स्वयं का बोध, सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण अनुकूल विकास और नागरिक कर्तव्यों पर चर्चा की जाएगी।
देश के प्रत्येक गांव और शहर में संचालन का लक्ष्य निर्धारित
संघ ने अपने शताब्दी वर्ष के अवसर पर देश के प्रत्येक गांव और शहर में संघ की शाखाओं का संचालन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान संघ प्रमुख इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किए जा रहे कार्यों और संघ की शाखाओं के संचालन पर विशेष चर्चा करेंगे। खासकर उन क्षेत्रों में, जहां ईसाई मिशनरियों का दबाव या सक्रियता है, संघ की शाखाओं के संचालन और लोगों को धर्मांतरण से बचने की सीख देने के संबंध में बड़ा एजेंडा तय किया जा सकता है।