जबलपुर। हाईकोर्ट ने मप्र नर्सिंग काउंसिल के चेयरमैन डॉ. जितेन चंद्र शुक्ला और रजिस्ट्रार अनीता चांद को तत्काल पद से हटाने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस संजय द्विवेदी व जस्टिस एके पालीवाल की खंडपीठ ने लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को यह आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को कहा है कि वे इस मामले में संज्ञान लेकर आदेश का पालन सुनिश्चित कराएं। कोर्ट ने महाधिवक्ता कार्यालय को कहा है कि इस आदेश की एक कॉपी तत्काल चीफ सेक्रेटरी और प्रमुख सचिव को भेजें। मामले पर अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी। लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ सभी अन्य नर्सिंग मामलों की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से एक आवेदन पेश किया गया। उनकी ओर से अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने दलील दी कि वर्ष 2021-22 में भोपाल के आरकेएस कॉलेज को अपात्र होने के बावजूद भी सूटेबल रिपोर्ट दर्शाकर मान्यता दी गई थी।
उक्त जांच समिति में तत्कालीन इंस्पेक्टर अनीता चांद भी थीं। उनके द्वारा की गई गड़बड़ी के लिए कार्रवाई करने के बजाए पुरस्कृत करते हुए सरकार ने उन्हें नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार बना दिया। यह भी कहा गया कि गड़बड़ियों के दौरान डॉ. शुक्ला काउंसिल के डायरेक्टर के पद पर थे। नर्सिंग कॉलेज से जुड़े मामले में सीबीआई जांच हुई है और पूरा प्रकरण हाईकोर्ट की निगरानी में है। जिनके कार्यकाल की गड़बड़ियां हुई हैं, यदि उन्हें ही महत्वपूर्ण पद दिए जाएंगे नर्सिंग घोटाले से जुड़े साक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं।
शासन के जवाब पर कोर्ट असंतुष्ट : सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि रजिस्ट्रार के मामले में जांच कमेटी गठित की गई है। कोर्ट ने शासन के जवाब पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा कि गड़बड़ी में लिप्त अधिकारियों को कैसे जिम्मेदारी दी जा सकती है और उनसे किस प्रकार की सही कार्रवाई की अपेक्षा की जा सकती है।