भोपाल। मप्र विधानसभा का 5 दिनी शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। इस सत्र के हंगामेदार होने के आसार बन गए हैं। कांग्रेस ने विधानसभा का घेराव समेत विभिन्न ज्वलंत मुद्दों के जरिए सरकार को घेरने का निर्णय लिया है तो दूसरी तरफ सरकार व सत्तापक्ष ने भी अपनी अलग रणनीति बना ली है। सत्ता पक्ष, विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए सभी तरह की रणनीति विचार कर रहा है। भाजपा विधायक दल की बैठक सोमवार को शाम 7 बजे होगी। इसमें विपक्ष के आरोपों का तल्ख जवाब देने की रणनीति पर निर्णय होगा।
संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि विपक्ष मुद्दा विहीन है। इसलिए, बेवजह के मुद्दे उठाकर सदन का समय जाया करेगी। विधानसभा में विपक्ष के एक-एक आरोप का जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि जनहित के मुद्दों पर प्रमुखता से निर्णय लिया जाए। उधर, विधानसभा सचिवालय ने भी शीतकालीन सत्र को लेकर पुख्ता बंदोबस्त कर लिया है।
सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं। चप्पे-चप्पे पर पुिलस बल की तैनाती की गई है। हर बार की तरह इस बार भी सुरक्षा के लिए विधानसभा सचिवालय तथा विधानसभा के बाहर भी भारी संख्या में पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। विधानसभा में कोई भी व्यक्ति बगैर पास के अंदर नहीं जा पाएगा।
विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने हरिभूिम को बताया कि इस सत्र के लिए कुल 1070 प्रश्न ऑनलाइन प्राप्त हुए हैं, जबकि 676 प्रश्न ऑफ लाइन मिले हैं। इसमें से तारांकित प्रश्नों की संख्या 888 व अतारांकित प्रश्नों की कुल संख्सा 878 है। उन्होंने बताया कि सत्र के बेहतर संचालन के लिए सभी तरह की तैयारी की गई है। पूरे परिसर को व्यवस्थित तरीके से सजाया संवारा गया है।
सड़क से सदन तक मांगेंगे सरकार से जवाब
पहले ही दिन कांग्रेस विधानसभा घेराव करने जा रही है। दावा है कि घेराव में प्रदेश भर से करीब 50 हजार कार्यकर्ता शामिल रहेंगे। इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अपने आवास पर विधायक दल की बैठक भी ली। सिंघार ने हरिभूमि से कहा कि विफलताओं को लेकर सड़क से सदन तक सरकार से जबाब मांगा जाएगा। भाजपा सरकार ने महिलाओं को 3000 रु. देने का वादा किया था लेकिन वो दे नहीं पाई। युवाओं को 2 लाख नौकरियां नहीं दे पाए। प्रदेश को आर्थिक मोर्चे पर भी मजबूत नहीं कर पाए। किसान परेशान है खाद संकट दूर नहीं कर पाए। गेहूं और धान के समर्थन मूल्य को लेकर किसान परेशान है। ड्रग्स के अवैध कारोबार पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है।