Minister Govind Singh : मध्यप्रदेश के वरिष्ठ मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष न्यायालय ने मानसिंह प्रकरण में सीबीआई जांच की मांग और एसआईटी गठित कर खात्मा रिपोर्ट में हस्तक्षेप की याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जब निचली अदालत में खात्मा/खारिजी रिपोर्ट प्रस्तुत हो गई है और जांच एजेंसियों ने अपनी भूमिका निभा ली है, तब न्यायालय को मामले में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। साथ ही, सीबीआई जांच की मांग को भी अदालत ने ‘अनुचित और बिना ठोस आधार’ के मानते हुए खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। मंत्री राजपूत के समर्थकों में खुशी और संतोष का माहौल है, वहीं विपक्ष को मुद्दे के गुम होने से निराशा हाथ लगी है। िवपक्ष पूरी तरह हताश हो गया है।
क्या है मान सिंह का मामला?
सागर जिले के किसान मान सिंह पटेल 2016 में गायब हुए थे। उनके परिजनों ने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और उनके सहयोगियों पर धमकाने और अवैध रूप से अपने पास रखकर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। ओबीसी महासभा द्वारा दाखिल याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ एसआईटी बनाकर जांच के निर्देश दिए थे। इसके बाद मामले में स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम ने जांच कर मामले की खात्मा रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की थी। मामले में नए सिरे से याचिका दाखिल कर सीबीआई की जांच को सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया।
षड़यंत्र करने वालों को करारा जवाब
बता दें कि सागर निवासी विनय मलैया और राजकुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में गठित एसआईटी के गठन को चुनौती देते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी, साथ ही एसआईटी द्वारा प्रस्तुत खात्मा रिपोर्ट पर सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सार्वजनिक जीवन में मयार्दाओं का पालन करते हुए कई बार अग्निपरीक्षा देनी होती है और झूठे आरोपों का सामना भी करना पड़ता है, किंतु षड़यंत्र और झूठ कई दिनों तक नहीं टिकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मेरे खिलाफ षड़यंत्र करने वालों को अपने आदेश के मार्फत करारा जवाब दिया है।
गोविंद सिंह की प्रतिक्रिया
सार्वजनिक जीवन में मयार्दाओं का पालन करते हुए कई बार अग्निपरीक्षा देनी होती है और झूठे आरोपों का सामना भी करना पड़ता है, किंतु षड़यंत्र और झूठ कई दिनों तक नहीं टिकता है।