रायपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले के आरोप में जेल में बंद कोटा विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की जमानत अर्जी को कोटर ने खारिज कर दिया है। दरअसल लखमा ने आगामी विधानसभा सत्र में शामिल होने के लिए विशेष अदालत में अर्जी दी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस सन्दर्भ में कोर्ट ने दायर किए अर्जी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि विधानसभा सत्र के संचालन पर लखमा की अनुपस्थिति से कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। बता दें कि 18 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट से कवासी लखमा ने विधानसभा सत्र में भाग लेने के लिए अनुमति मांगी थी।
कोर्ट ने फैसले को रखा सुरक्षित :
अपने आवेदन में उन्होंने कहा कि जनता से जुड़ी कई महत्वपूर्ण समस्याओं उन्हें विधानसभा में पर चर्चा करनी है। इस पर आपत्ति जताते हुए ईडी के वकील डॉ. सौरभ पांडेय ने कहा कि अगर किसी वोटिंग या महत्वपूर्ण सवाल उठाने की स्थिति उत्पन्न नहीं होती है, तो विधानसभा में लखमा की उपस्थिति जरूरी नहीं है। इसके अलावा राज्यपाल की ओर से लखमा के विधानसभा में शामिल होने के लिए कोई पत्र भी नहीं आया है। जिससे उनकी अनुमति पर सवाल खड़ा हुआ। कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है।
जमानत खारिज करने की थी मांग :
ईओडब्ल्यू की स्पेशल कोर्ट ने पहले ही कवासी लखमा की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर चुकी है। दो सप्ताह पूर्व कवासी की ओर से वकील ने उसके बचाव पक्ष में उसे निर्दोष बताते हुए झूठे मामले में फंसाने और परेशान करने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही ईडी को छापेमारी के दौरान उनके घर से एक पैसा भी बरामद और आपत्तिजनक दस्तावेज नहीं मिलने की जानकारी दी थी, वहीं ईओडब्ल्यू की ओर से इस मामले में कवासी लखमा पर शराब घोटाले में हर महीने 50 लाख रुपए कमीशन सहित करीब दो करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाते हुए अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करने की मांग की गई थी।
स्पेशल कोर्ट में हुई थी पेशी :
ED के द्वारा पूर्व मंत्री कवासी लखमा को शराब घोटाले के मामले में इससे पहले 21 जनवरी को राजधानी रायपुर के स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था। इस दौरान रिमांड खत्म होने के बाद कोर्ट ने कवासी लखमा को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। इस दौरान ED के वकील ने कोर्ट में अपनी दलील पेश करते हुए कहा था कि, लखमा पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं ऐसे में उन्हें जेल भेजा जा सकता है। कोर्ट में ED के वकील ने लखमा पर आरोप लगाए कि, उनका नाम इस शराब घोटाले से जुड़ा हुआ है। ऐसे में जांच में उनका सहयोग करना जरुरी है।
ED के वकील ने लगाएं गंभीर आरोप :
ED का आरोप है कि पूर्व मंत्री लखमा का सिंडिकेट में अहम हिस्सा था। सिंडिकेट का पूरा काम लखमा के निर्देश पर ही किया जाता था। जिससे सिंडिकेट को मदद मिलता था। इतना ही नहीं ED ने ये भी कहा कि, कवासी लखमा ने शराब नीति बदलने में भी अहम भूमिका है। जिससे छत्तीसगढ़ में FL-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। यही नहीं ED ने बताया कि, आबकारी विभाग में हो रहे घोटाले की लखमा को पूरी जानकारी थी हालांकि इसे रोकना उन्होंने मुनासिब नहीं समझा था।