भोपाल : मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा अभी भी गरमाया हुआ है। सरकार ओबीसी वर्ग को बढ़ा हुआ आरक्षण देना चाहती है या नहीं। इस पर अभी भी बीजेपी सरकार द्वारा स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया । इधर, मामले में 11 बार सुनवाई होने के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकलने पर जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए 2 हफ्ते का समय दिया है। तो वही कांग्रेस के पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सीएम मोहन को पत्र लिख OBC आरक्षण पर देरी की वजह पूछी है। साथ ही नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार से सभी सरकारी विभागों में 40% से अधिक पदों को शीघ्र भरना की मांग की।
सरकारी नौकरियों में भी पिछड़ा वर्ग की गंभीर उपेक्षा
इधर, ओबीसी आरक्षण को लेकर पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने बीजेपी सरकार पर तंज कस्ते हुए कहा कि आरक्षण पर जानबूझकर देरी कर रही बीजेपी सरकार। सरकारी नौकरियों में भी पिछड़ा वर्ग की गंभीर उपेक्षा कर रही है! इस संबंध में पटवारी ने सीएम को पत्र लिखकर कहा कि सीएम यादव जी, उम्मीद है पत्र में लिखी सच्चाई को आप गंभीरता से लेंगे। सरकारी स्तर पर लंबित समस्त प्रक्रियाओं में तेजी लाएंगे!
SC -ST एक्ट की तर्ज पर ओबीसी वर्ग के लिए भी बने अधिनियम
तो वही ओबीसी आरक्षण को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश की कुल आबादी में 48% हिस्सेदारी रखने वाले पिछड़े वर्ग की सरकारी नौकरी में उपस्थिति मात्र 16.8% है। ये आंकड़ा सामाजिक न्याय और समानता के अधिकार को मुंह चिढ़ाने जैसा है। ओबीसी को 35% आरक्षण देने की सिफारिश की गई है, फिर भी बीजेपी सरकार चुप्पी साधे हुए है। सरकार इसके लिए एससी-एसटी एक्ट की तर्ज पर ओबीसी वर्ग के लिए भी अधिनियम बनाए।
सरकारी विभागों में 40% से अधिक पदों को शीघ्र भरने की मांग
नेता प्रतिपक्ष ने आगे लिखा कि सरकार को सभी सरकारी विभागों में 40% से अधिक पदों को शीघ्र भरना होगा। ओबीसी वर्ग के हितों को ध्यान में रखकर उनके साथ न्याय करना होगा। वरना ये ओबीसी वर्ग के साथ बड़ा अन्याय साबित होगा। अब सवाल उठता है, क्या बीजेपी सरकार अपने वादे निभाएगी
जानें मामला
दरअसल, एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस नामक संस्था द्वारा दायर याचिका में OBC को आबादी के हिसाब से 51% आरक्षण देने की माँग की गई है। इस मामले में अब हाईकोर्ट 11 बार सुनवाई कर चुका है। लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। न ही याचिका को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की याचिका दायर की गई है। अब तक पेश किए तर्कों को ध्यान में रखते हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगले दो हफ्ते में प्रदेश सरकार अपना जवाब पेश करे वरना राज्य सरकार पर 15 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा. इस मामले की अगली सुनवाई 16 जून निर्धारित की गई है. अब देखन ये है कि कोर्ट की फटकार के बाद राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण को लेकर क्या जवाब पेश करती है।