MP Politics : मध्यप्रदेश की दो विधानसभा सीट बुधनी और विजयपुर पर उपचुनाव को लेकर कश्मकश शुरू हो गई है। उपचुनाव के दंगल में कई राजनैतिक दल जोर अजमा रहे है, लेकिन मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। प्रदेश की बुधनी सीट सबसे हॉट सीट बनी हुई है। क्योंकि बुधनी से भाजपा उम्मीदवार रमाकांत भार्गव को अपनों का ही विरोध झेलना पड़ रहा है। हालांकि रमाकांत भार्गव ने नामांकन तो दाखिल कर दिया, लेकिन बीजेपी के अंदर खींचतान अभी भी जारी है।
शिव के लिए छोड़ी सीट
दरसअल, बुधनी विधानसभा से विधायक रहे राजेन्द्र सिंह राजपूत बीजेपी के फैसले से नाराज है। राजेन्द्र सिंह बुधनी उपचुनाव में प्रबल दावेदार थे, लेकिन बीजेपी ने उनकी जगह रमाकांत भार्गव को उम्मीदवार बना दिया। इसी को लेकर अब भाजपा कार्यकर्ता पार्टी के फैसले का विरोध कर रहे है। राजेन्द्र सिंह राजपूत वही हैं जिन्हें शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनने के लिए साल 2006 में अपनी सीट छोड़ दी थी। इसके बाद शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बने थे। उस समय 2005 में शिवराज सिंह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और विदिशा लोकसभा से सांसद थे। शिवराज सिंह को 6 महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना था। इसलिए साल 2006 में राजेन्द्र सिंह ने विधायक पद से इस्तीफा देकर शिवराज सिंह के लिए सीट खाली कर दी थी। और उपचुनाव में शिवराज सिंह ने कांग्रेस के राजकुमार पटेल को चुनाव हराया था।
राजपूत को मिला था आश्वसन
जब राजेन्द्र सिंह ने शिवराज सिंह के लिए अपनी सीट छोड़ी थी तब उन्हें सीट छोड़ने का इनाम देने का आश्वासन किया गया था। और वो समय हाल के उपचुनाव में मिलना था, लेकिन बीजेपी ने उन्हें दरकिनार करते हुए पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को टिकट दे दिया। इसी बात से अब राजेन्द्र सिंह राजपूत और स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता नाराज हो गए है।
भार्गव का खुलकर विरोध
राजेन्द्र सिंह ने बीते दिनों भाजपा की एक बैठक में रमाकांत भार्गव के टिकट का खुलकर विरोध किया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी एक सुर में राजेन्द्र सिंह को टिकट देने की मांग की। इससे पहले पूर्व मंत्री रामपाल सिंह को भी भाजपा कार्यकर्ताओं का विरोध झेलना पड़ा। बताया जा रहा है कि बीजेपी ने राजेन्द्र सिंह को निगम मंडलों में जगह देने का फिर से आश्वासन दिया है।
नाथ के संपर्क में राजपूत
सूत्रों के अनुसार पूर्व भाजपा विधायक राजेन्द्र सिंह राजपूत ने खुद खुलासा करते हुए कहा है कि उन्हें कांग्रेस ने टिकट देने की पेशकश की थी। वे खुद कमलनाथ के संपर्क में थे, लेकिन उन्होंने टिकट लेने से साफ इनकार कर दिया था। इतना ही नहीं रमाकांत भार्गव के नाम की घोषणा के बाद उन्हें सपा और बसपा से भी टिकट देने का आफॅर आया था, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया की मैं पार्टी से जुड़ा आदमी हूं। मुझे अगर पार्टी टिकट देगी तो लडूंगा, दूसरी पार्टी के टिकट पर चुनाव नहीं लडूंगा।