भोपाल : मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने लैंड पूलिंग एक्ट में बदलाव करते हुए गुजरात मॉडल को हरी झंडी दे दी है। जिसके चलते अब किसानों को मुआवजा के जगहे 50 फीसदी विकसित जमीन दी जाएगी। सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए एक्ट को किसान से जमीन छीनने की साजिश बताई। तो वही सीएम मोहन ने लैंड पुलिंग एक्ट को लेकर कहा कि राज्य का विकास प्रथमिकता है। साथ ही किसानों की जिंदगी बेहतर करने की भी कोशिश की जा रही है।
CM मोहा ने कांग्रेस को दी नसीहत
हाल ही में मीडिया कर्मियों को लैंड पुलिंग एक्ट पर बयान देते हुए सीएम मोहन ने कहा कि हम किसानों के साथ हे,हमारी सरकार किसानों पर आधारित है,में खुद किसान पुत्र हु,हम हर हालत में राज्य का विकास भी चाहेंगे,ओर किसानों की जिंदगी बेहतर से बेहतर हो उनको बराबरी से लाना चाहेंगे। वही कांग्रेस के आरोप पर कहा कि कांग्रेस को राजनीति से ऊपर उठकर मध्य प्रदेश के विकास में सहभागी बनना चाहिए।
लैंड पूलिंग एक्ट के खिलाफ कांग्रेस ने उठाई आवाज
इधर, कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने लैंड पूलिंग एक्ट के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि सरकार लैंड पुलिंग एक्ट के जरिये किसानों से जमीन छीनने की कोशिश कर रही है। यदि इसके खिलाफ मुखर आवाज नहीं उठाई तो भविष्य में रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा! एक्ट में किए बदलाव को लेकर कांग्रेस ने आंदोलन की चेतावनी दी है। साथ ही भारतीय किसान संघ और अन्य किसान संगठनों से भी समर्थन की मांग की।
जानें क्या है लैंड पूलिंग एक्ट
बता दें कि गुजरात में लैंड पूलिंग एक्ट के तहत भूखंड और भूमि का अधिकरण करने पर विकसित भाग का आधा हिस्सा भूमि स्वामी को दे दिया जाता है. इस प्रक्रिया में मुआवजा नहीं दिया जाता है. इसी गुजरात मॉडल पर अब मध्य प्रदेश सरकार भी काम करने जा रही है । इस एक्ट के जरिये सरकार बड़ी योजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहित कर रही है। तो वही छोटी योजना के लिए किसानों के छोटे-छोटे टुकड़ों को अधिग्रहित नहीं किया जाएगा. इसके अलावा जो विकसित जमीन किसानों को दी जाएगी, उसकी कीमत कृषि भूमि की कीमत से 10 गुना से भी अधिक बढ़ जाएगी। हालांकि मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का कहना है कि 40 हैक्टेयर से अधिक भूमि के निवेश पर यह नियम लागू होगा।