नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में मतदान केंद्र पर शिकायतों के समाधान और (बूथ स्तर) पर समस्याओं को लेकर 4,000 से अधिक मतदाता पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) ने देशभर के सभी राजनीतिक दलों के साथ मंथन शुरू किया है। इन ईआरओ को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में लंबित मुद्दों के समाधान करने के लिए कहा गया है। दरअसल कई राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग पर मतदान के आंकड़ों में गड़बड़ी कर भाजपा को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था। जिसे मद्देनजर रखते हुए चुनाव आयोग ने सियासी दलों के साथ बैठकों का दौर शुरू किया है। ये बैठकें 31 मार्च तक पूरी होंगी।
जमीनी स्तर पर भागीदारी सुनिश्चित :
आयोग ने सभी राष्ट्रीय और राज्य व क्षेत्रीय स्तरीय राजनीतिक दलों से अपील की है कि किसी भी मतदाता के रजिस्ट्रेशन से संबंधित लंबित मुद्दे को समयबद्ध तरीके से हल करने के लिए चुनाव अधिकारियों से मिलकर जमीनी स्तर पर भागीदारी सुनिश्चित करें। चुनाव आयोग का कहना है कि एक में मतदाता वोटर लिस्ट में आने से छूटे नहीं।
मतदाता सूची दुरुस्त करने का अनुरोध :
आयोग ने पिछले दिनों कहा था कि वह राजनीतिक दलों की शिकायतों को दूर करने मतदाता सूचियों को दुरुस्त करने का अनुरोध के लिए विभिन्न स्तरों पर उनके साथ मंत्रणा आयोग ने जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण प्राधिकरणों को भी मतदाता सूचियों को दुरुस्त करने का अनुरोध किया है। निर्वाचन आयोग में इन 4123 मतदाता पंजीकरण अधिकारियों के अलावा देश भर के सभी 788 जिला निर्वाचन अधिकारी और 6 राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को भी ऐसी बैठकें करने का निर्देश दिया गया है। करेगा। तृणमूल कांग्रेस सहित कई दलों ने एक ही नंबर वाले वेटर कार्ड का मामला उठाया था। इसको देखते हुए चुनाव आयोग मतदाता कार्ड को आधार नंबर से जोड़ने की संभावना तलाशने का निर्णय किया है।