Indore BJP Jila Adhyaksh : मध्यप्रदेश बीजेपी में जिलाध्यक्ष की कुर्सी को लेकर दावेदार तो प्रयास कर ही रहे है, तो वही अपने समर्थकों को अध्यक्ष बनाने के लिए मंत्री से लेकर विधायक तक जोर भी लगा रहे है। ऐसा नजारा कुछ अब सीएम मोहन यादव के प्रभार वाले जिले इंदौर में महसूस होने लगा है। प्रदेश और स्थानीय दिग्गज नेताओं के चलते इंदौर में जिलाध्यक्ष का फैसला अबतक अधर में लटका हुआ है।
जिलाध्यक्ष को लेकर रस्साकश्शी!
प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में शहर और ग्रामीण जिलाध्यक्ष की ताजपोशी अबतक नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि दोनों पदों के लिए कई दावेदार जोर आजमा रहे है। और इन दावेदारों के पीछे विधायक से लेकर मंत्रियों की ताकत लगी हुई है। जिसके चलते बीजेपी जिलाध्यक्ष का फैसला नहीं कर पा रही है। जिलाध्यक्ष को लेकर रस्साकश्शी होने लगी है।
भाजपा नहीं चाहती विवाद
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इंदौर सीएम मोहन का प्रभार वाला क्षेत्र है। प्रदेश की राजनीति में इंदौर से कई बल्लम नेता सरकार में बड़े बड़े पदों पर आसीन है। बीजेपी नहीं चाहती की कोई विवाद उत्पन्न हो, इसलिए नेताओं में तालमेल बिठाने के लिए पार्टी को समय लग रहा है। इंदौर हमेशा से राजनीति के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखता आया है। इंदौर के रहने वाले मोहन सरकार में कद्दावर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रहे है। इसके अलावा कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में बीजेनपी ने जिले की सभी 9 सीटों पर जीत भी दर्ज की है। इसके अलावा हाल ही में हुए जीतू यादव कांड से बीजेपी की छवि को भी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में जिलाध्यक्ष की तैनाती को लेकर बीजेपी फूंक फूंक कर कदम रख रही है।
आपको बता दे कि बीजेपी 62 संगठनात्मक जिलों में से 56 जिलाध्यक्षों की तैनाती कर चुकी है। बाकी बचे 6 जिला अध्यक्षों की घोषणा होना है। बचे हुए जिला अध्यक्षों की घोषणा होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। भाजपा द्वारा घोषित किए गए 56 जिला अध्यक्षों में 16 को दोबारा मौका दिया गया है। मध्यप्रदेश में विधानसभा और लोकसभा में सबसे अधिक वोट देने वाली महिलाओं को सिर्फ चार जिलों में अध्यक्ष बनाया गया है। यानी प्रदेश की आधी आबादी कही जाने वाली महिलाओं को जिला अध्यक्ष पद पर महज आठ प्रतिशत स्थान मिल सका है।