भोपाल। आवारा कुत्तों के द्वारा बच्चों को काटने की बढ़ रही घटनाओं को रोकने के लिए नगर निगम शहर में तीन नए नसबंदी सेंटर खोल चुका है। इस पर करीब 65-65 लाख रुपए का खर्च किए गए, लेकिन पर्याप्त संख्या में कुतते न पहुंचने से नियमित नसबंदी नहीं हो पा रही है। नगर निगम के सेंटर न होने से पहले यह काम एनजीओ के भरौसे था, जिसके तहत 20 से 25 आवारा कुत्तों की रोजाना नसबंदी हो पाती थी। नए सेंटर खुलने से 200 से 250 आवारा कुत्तों की नसबंदी हो सकती है। यह सेंटर स्वच्छ भारत मिशन के तहत कोकता, कोलार और परवलिया में खोले गए हैं। जबकि इन सेंटर के खोलने से पहले भोपाल शहर के अलावा आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से भी आवारा कुत्तों को पकड़कर लाया जाना था। इसके लिए नगर निगम की 5 गाड़ी में करीब 65 कर्मचारी कुत्तों को लाने का काम करने के लिए तैनात किए गए हैं।
रिकार्ड में 40 हजार से ज्यादा हैं आवारा कुत्ते
नगर निगम ने शहर में आवारा कुत्तों की गिनती नहीं करवाई, लेकिन संख्या दर्ज 40 हजार ही दर्ज की हुई है। इसके तहत भोपाल शहर में आवारा कुत्तों की संख्या करीब 40 हजार है, जबकि पेट लवर्स के रिकार्ड के अनुसार यह संख्या डेढ़ लाख से ज्यादा है। निगम के पास है डेढ़ करोड़ का बजट अभी है, लेकिन पेट लवर के विरोध का भी सामना इन लोगों को करना पड़ता है। अधिकारी मानते हैं कि डॉग स्क्वॉड अमले के पास सबसे बड़ी समस्या सेंटर न होने की थी, जिसे हल कर लिया गया है।
सेंटर खुलने से कम नहीं हो रही आबादी
स्वच्छ भारत मिशन के तहत आवारा कुत्तों के नसबंदी सेंटर खुलने के बाद भी आबादी कम नहीं हो रही है। शहर के तीन छोर में खुलने से रोजाना 200 से 250 कुत्तों की नसंबदी होना थी, लेकिन संख्या कम नहीं हो पा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि जब तक 60 प्रतिशत से ज्यादा आवारा कुत्तों की नसबंदी नहीं होगी। तब तक संख्या कम नहीं हो सकती।
कुत्तों को पकड़ने के लिए मिल रही हैं रोजाना 60 शिकायतें
राजधानी में गली,मोहल्लों, सड़कों और तंग गलियों में कुत्तों का आंतक बढ़ रहा है। ये न सिर्फ रात के समय वाहन चालकों पर लपकते हैं बल्कि छोटे बच्चों का घर के समीप ही दुकानों पर सामान लेने जाना भी खतरे भरा है। कुत्ते अक्सर बच्चों पर लपकते हैं। ऐसा नहीं कि निगम के कॉल सेंटर पर इस मामले को लेकर शिकायतें नहीं पहुंचती। रोजाना 40 शिकायतें दर्ज होती हैं, जो अब बढ़कर 60 तक पहुंच गई हैं, लेकिन अमला एक भी स्थान पर समय पर नहीं पहुंचता। निगम के डॉग स्क्वाड अमले की लापरवाही को लेकर लोगों में गुस्सा है।